5 पेड़ जिन्हे हिंदू धर्म में पूजा जाता हैं, धार्मिक ग्रंथों में है विशेष महत्व

सनातन धर्म में प्रकृति को विशेष महत्व दिया जाता है. जहां नदियों को मां का दर्जा प्राप्त है, वहीं पेड़-पौधे पूजनीय हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति अपने जीवन में एक नीम का पेड़, दस इमली के पेड़, तीन कैथ के पेड़, तीन बेल के पेड़, तीन आंवला के पेड़ और पांच आम के पेड़ लगाता है, उसे पुण्यात्मा की श्रेणी में गिना जाता जाता है. भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बता रहे हैं उन 5 वृक्षों के बारे में.

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पीपल का पेड़ : पीपल का पेड़ हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस पेड़ में जड़ से पत्तियों तक देवी-देवताओं का वास माना जाता है. इसका उळ्लेख गीता में भी मिलता है. भगवान कृष्ण ने कहा है, 'हे पार्थ वृक्षों में मैं पीपल हूं.' पीपल के पेड़ के हर एक तत्व जैसे पत्ते, छाल, बीज, फल, दूध, कोपल, लाख और जटा सभी बहुत काम आते हैं.

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बरगद या वटवृक्ष : वटवृक्ष या बरगद का पेड़ पीपल के बाद सनातन धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है. पौराणिक मान्यता है कि बरगद के पेड़ में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बरगद को साक्षात भगवान शिव भी कहा जाता है. बरगद को देखना भोलेनाथ के दर्शन करना जितना शुभ माना जाता है.

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केले का पेड़ : केले का पेड़ भी हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखता है. पूजा-पाठ या धार्मिक कार्यों में केले और केले के पत्तों का उपयोग किया जाता है. भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को केले का भोग लगाना बेहद शुभ माना जाता है. केले के पेड़ की भी पूजा की जाती है. इसके अलावा केले के पत्तों पर प्रसाद बांटा जाता है.
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नीम का पेड़ : हिंदू धर्म में नीम के पेड़ का विशेष महत्व है. इसकी पूजा की जाती है. नीम के वृक्ष को मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है. नीम के पेड़ को कुछ-कुछ क्षेत्र में नीमारी देवी के नाम से भी जाना जाता है. ये पेड़ सदियों से भारत में पाया जाता रहा है. नीम का पेड़ मुख्यत: नेपाल, म्यानमार (बर्मा), पाकिस्तान, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, थाईलैंड, श्रीलंका आदि देशों में भी पाया जाता है. ये पेड़ चमत्कारी औषधीय गुणों से भरपूर है.

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नारियल का पेड़ : श्रीफल के नाम से प्रसिद्ध नारियल, जिनता महत्व पूजा पाठ में रखता है उतना ही महत्वपूर्ण नारियल का पेड़ भी है. नारियल को मंगल प्रतीक के रूप में देखा जाता है. भारत में मुख्य रूप से नारियल के पेड़ केरल, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में बहुत पाए जाते हैं. इसके अलावा महाराष्ट्र में मुंबई और तटीय क्षेत्रों और गोआ में भी इसकी काफी उपज होती है.

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