भारतीय प्रतिभाओं के लिए संभावनाओं के द्वार खोलेगी 5जी प्रौद्योगिकी : रिपोर्ट

मुंबई
भारत में बड़ी संख्या में कंपनियों का मानना है कि 5जी के क्रियान्वयन से रोजगार की दुनिया में एक क्रांतिकारी बदलाव आएगा और इससे देश के प्रौद्योगिकी क्षेत्र की प्रतिभाओं के लिए अपार संभावनाएं खुलेंगी।

एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

टीमलीज सर्विसेज की रिपोर्ट के अनुसार, 80 प्रतिशत से अधिक कंपनियों का मानना है कि 5जी प्रौद्योगिकी से सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और बैंकिंग तथा वित्तीय सेवा क्षेत्र में रोजगार सृजन और कौशल में वृद्धि को लेकर व्यापक संभावनाएं बनेंगी।

स्टॉफिंग कंपनी टीमलीज की रिपोर्ट 'भारत में 5जी की शुरुआत: लोगों की आपूर्ति श्रृंखला में क्रांति लाना' शीर्षक वाली रिपोर्ट 247 कंपनियों की प्रतिक्रिया पर आधारित है। इन कंपनियों से 5जी के पारिस्थितिकी तंत्र और रोजगार सृजन पर प्रभाव के बारे में पूछा गया था।

टीमलीज सर्विसेज के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ)-स्टाफिंग कार्तिक नारायण ने कहा, ''दूरसंचार क्षेत्र के लिए 12,000 करोड़ रुपये की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) के साथ उल्लेखनीय निवेश से हम क्षेत्र में रोजगार सृजन और कौशल में सुधार को लेकर सकारात्मक हैं। पीएलआई योजना का 25 प्रतिशत सिर्फ रोजगार सृजन के लिए है।''

उन्होंने कहा कि इससे 5जी की क्षमता का उपयोग करने, रोजगार के अवसर पैदा करने, नवोन्मेषण को आगे बढ़ाने और एक बदलाव वाले भविष्य को आकार देने में मदद मिलेगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 5जी के क्रियान्वन से उद्योगों पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ेगा। इसमें बीएफएसआई, शिक्षा, गेमिंग, खुदरा और ई-कॉमर्स क्षेत्र शामिल हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्वेक्षण में शामिल 46 प्रतिशत कंपनियों का मानना है कि 5जी के क्रियान्वयन से पहले साल में ही 61 से 80 प्रतिशत रोजगार का सृजन होगा।

इसमें कहा गया है कि सिर्फ पहले साल ही नहीं अगले कुछ वर्ष भी 5जी प्रौद्योगिकी रोजगार सृजन में मदद करेगी। 41 प्रतिशत कंपनियों का मानना है कि 5जी के क्रियान्वयन से अगले तीन साल में रोजगार सृजन पर 80 प्रतिशत से अधिक प्रभाव पड़ेगा।

 

टाटा स्टील का कम कॉर्बन उत्सर्जन की प्रौद्योगिकी पर जोर, जर्मनी के एसएमएस समूह से हाथ मिलाया

नई दिल्ली
टाटा स्टील ने कम कॉर्बन उत्सर्जन की इस्पात विनिर्माण प्रक्रिया के विकास के लिए जर्मनी के एसएमएस समूह के साथ भागीदारी की है।

टाटा स्टील ने बयान में कहा कि इस समझौता ज्ञापन (एमओयू) के तहत दोनों कंपनियां आगे तकनीकी चर्चा करेंगी और एसएमएस समूह द्वारा विकसित ईजीमेल्ट (इलेक्ट्रिक-एसिस्टेड सिनगैस स्मेल्टर) प्रौद्योगिकी का संयुक्त रूप से औद्योगिक प्रदर्शन करेंगी।

बयान में कहा गया है कि यह प्रदर्शन टाटा स्टील के जमशेदपुर संयंत्र के ई ब्लास्ट फर्नेस में किया जाएगा। इसका उद्देश्य कॉर्बन उत्सर्जन में 50 प्रतिशत से अधिक की कमी लाना है।

ईजीमेल्ट तकनीक एक लोहा बनाने वाला समाधान है जिसे मौजूदा इस्पात संयंत्रों को कॉर्बन-मुक्त करने के लिए लागू किया जा सकता है।

टाटा स्टील के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक टी वी नरेंद्रन ने कहा, ''हम सक्रिय रूप से हरित इस्पात उत्पादन की ओर बदलाव के लिए समाधान तलाश रहे हैं, जिससे हरित भविष्य में योगदान दे सकें। इसके अलावा भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक है। ऐसे में टाटा स्टील जैसी बड़ी कंपनियों के ऊपर कॉर्बन उत्सर्जन कम करने की देश की यात्रा में योगदान करने की बड़ी जिम्मेदारी है।''

 

एनटीपीसी का दबाव वाली ताप बिजली संपत्तियों का अधिग्रहण एक अच्छा विकल्प : रिपोर्ट

नई दिल्ली
 इंस्टिट्यूट फॉर एनर्जी इकनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (आईईईएफए) ने कहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली कंपनी एनटीपीसी द्वारा दबाव वाले ताप बिजली संयंत्रों में रणनीतिक हिस्सेदारी खरीदने और उनका पुनरुद्धार करने से बैंकों को अपना बही-खाता दुरुस्त करने में मदद मिलेगी।

आईईईईएफ के अनुसार, एनटीपीसी सहित सभी हितधारकों के लिए दबाव वाले बिजली संयंत्रों का अधिग्रहण करना और उनको फिर खड़ा करना एक बेहतर विकल्प है।

शोध कंपनी की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने एनटीपीसी से ताप विद्युत क्षमता में सात गीगावॉट जोड़ने के लिए कहा है। ''हमने पाया है कि एनटीपीसी कम-से-कम निवेश के साथ पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन-आरईसी और राष्ट्रीय संपत्ति पुनर्गठन कंपनी के साथ सहयोग में 6.1 गीगावॉट की दबाव वाली तापीय संपत्तियां हासिल कर सकती है।''

रिपोर्ट में कहा गया है कि दबाव वाली ताप बिजली संपत्तियों के अधिग्रहण और फिर उनके पुनरुद्धार से बैंकों के बही-खाते को भी सुधारने में मदद मिलेगी।

 

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