पाकिस्तान में अक्टूबर में हो सकते हैं लोकसभा चुनाव, सेना ने खत्म कर दी इमरान की पारी, बना पाएंगे मौका?

पाकिस्तान
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने सोमवार को कहा है, कि पाकिस्तान में लोकसभा के चुनाव अक्टूबर महीने में अपने तय समय पर करवाए जाएंगे। अगर रक्षा मंत्री की बात सही निकलती है, तो फिर क्या यह इमरान खान की राजनीति का पटाक्षेप है या वह फिर से वापसी कर सकते हैं? राजनीति में, किसी की संभावना को कभी भी खारिज नहीं किया जा सकता है और न ही किया जाना चाहिए, और पाकिस्तान की राजनीति में तो कब क्या हो जाए, कोई सोच भी नहीं सकता है।

नवाज शरीफ आभासी गुमनामी से दो बार वापस आ चुके हैं और उनके लिए एक बार फिर से मौका बन रहा है, कि वो फिर से पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बन सकते हैं और अपने हाथ में देश की बागडोर चौथी बार संभाल सकते हैं। जितनी बार उन्हें बाहर किया गया, किसी ने नहीं सोचा था कि वह वापसी करेंगे, लेकिन उन्होंने बार बार वापसी की है। बेनजीर भुट्टो के साथ भी यही होता, अगर उनकी हत्या नहीं हुई होती, और वो साल 2008 में तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के काफी करीब पहुंच चुकी थीं। पाकिस्तान की राजनीतिक पार्टियों ने सैन्य प्रतिष्ठान के साथ बेईमानी की है, लेकिन बार बार उन्होंने उनके साथ फिर से संबंध सुधारे हैं, माफी मांगी है और फिर से मुख्य राजनीति में वापसी की है।

लेकिन, क्या इमरान खान ऐसा कर सकते हैं?

शायद ही किसी ने सोचा होगा, कि पिछले साल अप्रैल में अविश्‍वास प्रस्ताव के जरिए पद से हटाए जाने के बाद वे पाकिस्‍तान की राजनीति के केंद्रीय ध्रुव होंगे। लेकिन एक साल में उन्होंने अपने समर्थकों की संख्या में बेतहाशा इजाफा की, उन्हें लामबंद किया और उन्हें सेना के खिलाफ उकसाया। लिहाजा, सेना पूरे एक साल तक अपना सिर पीटती रही, कि इमरान खान को कैसे हैंडल किया जाए।

लेकिन, 9 मई को इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद फिर से पूरा खेल पलट गया और देशभर में हुई हिंसा ने पाकिस्तान की सरकार और सेना के हाथ में वो हथियार दे दिया, जिसकी वो पिछले एक साल से तलाश कर रहे थे। सेना ने इमरान खान की पार्टी को खत्म करने के लिए सारे हथियार इस्तेमाल करने शुरू कर दिए हैं, सारे समर्थकों ने इमरान खान का साथ छोड़कर अपनी नई पार्टी बना ली, जिसने सोमवार को इमरान खान के ही खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। जाहिर है, वो सेना के इशारे पर ही काम कर रहे हैं।

बहुत संभावना है, कि इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पर प्रतिबंध लगा दिया जाए और इमरान खान के जिंदगी भर चुनाव लड़ने पर बैन लगा दिया जाए और इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता, कि जरूरत पड़ने पर इमरान खान को कालकोठरी में भी डाला जा सकता है। इमरान के लिए अब इस संकट से उबरना और फिर से सत्ता हासिल करना लगभग असंभव लग रहा है, कम से कम अभी के लिए। अब केवल एक चमत्कार या 'ब्लैक स्वान' घटना ही उसे सत्ता में वापस ला सकती है।

आर्मी चीफ और इमरान के बीच दुश्मनी
मौजूदा परिस्थितियां सत्ता में इमरान खान की वापसी की संभावनाओं को असंभव बना रही हैं। पाकिस्तान की सेना पाकिस्तान के राजनीतिक ढांचे में फिर से स्थापित करने और पाकिस्तान की राजनीति में वो ही बॉस है, इसकी याद सभी को दिलाने की कोशिश कर रही है। लिहाजा, अगर इमरान झुकते भी हैं, समझौता भी करते हैं, फिर भी उन्हें इतनी जल्द वापसी करने की अनुमति तो नहीं ही दी जाएगी। उनके खिलाफ जाने वाला सबसे बड़ा कारक वर्तमान सेना नेतृत्व है। आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर की इमरान से दुश्मनी काफी पुरानी है।

इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम और उनके डिप्टी मेजर जनरल फैसल नसीर सहित सेना के अन्य शीर्ष अधिकारी भी इमरान के लिए जी का जंजाल हैं, क्योंकि प्रधानमंत्री रहने के दौरान इमरान ने उन्हें भी अपनी राजनीति में घसीटा। लिहाजा, आईएसआई प्रमुख और उनके मातहत तय करेंगे, कि कुछ भी हो, इमरान खान सत्ता में वापस नहीं आने चाहिए।

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