गेहूं, चावल, चीनी के निर्यात पर पांबदियां हटाने का प्रस्ताव नहीं: गोयल

गेहूं, चावल, चीनी के निर्यात पर पांबदियां हटाने का प्रस्ताव नहीं: गोयल

 मंत्री पीयूष गोयल बोले -गेहूं, चावल, चीनी पर प्रतिबंध के बाद भी भारत का कृषि निर्यात बढ़ेगा

नई दिल्ली
 वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि गेहूं, चावल और चीनी के निर्यात पर लगी पाबंदियां हटाने का कोई भी प्रस्ताव फिलहाल सरकार के सामने नहीं है।

गोयल ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि भारत का गेहूं और चीनी के आयात का कोई इरादा नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘गेहूं, चावल और चीनी पर निर्यात प्रतिबंध हटाने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है। इसके साथ ही भारत गेहूं और चीनी का आयात नहीं करेगा।’

भारत ने घरेलू स्तर पर बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए मई, 2022 में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद जुलाई, 2023 से गैर-बासमती चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा हुआ है।

इन प्रतिबंधों से निर्यात में इस साल लगभग $4 बिलियन से $5 बिलियन की कमी होने की संभावना है। व्यापार मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, 2022-23 में हमारा कुल कृषि निर्यात लगभग $53 बिलियन था, और हमें उम्मीद है कि चावल, गेहूं या चीनी के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद चालू वर्ष में यह संख्या बढ़ेगी। राज्य संचालित व्यापार निकाय एपीडा के आंकड़ों से पता चला है कि, इस साल अप्रैल और नवंबर के बीच मांस और डेयरी, अनाज की तैयारी और फलों और सब्जियों के निर्यात में वृद्धि हुई है।

सरकार ने अक्टूबर, 2023 में चीनी के निर्यात पर भी रोक लगाने का आदेश जारी कर दिया था।

रबी सत्र में मसूर की दाल के रिकॉर्ड उत्पादन की उम्मीद

नई दिल्ली
मौजूदा रबी सत्र में खेती का रकबा बढ़ने से मसूर की दाल का उत्पादन 16 लाख टन के साथ अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है।

उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने यहां एक कार्यक्रम में यह अनुमान जताते हुए कहा कि इस साल मसूर दाल की पैदावार सबसे ज्यादा होने वाली है।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 रबी सत्र में मसूर का उत्पादन 15.5 लाख टन था।

सिंह ने  ‘ग्लोबल पल्स कन्फेडरेशन’ (जीपीसी) के कार्यक्रम में कहा, ‘इस साल मसूर का उत्पादन अब तक के उच्चतम स्तर पर होने वाला है। हमारा मसूर उत्पादन दुनिया में सबसे ज्यादा होगा। इसका रकबा बढ़ गया है।’

दुनिया में दालों का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता होने के बावजूद, भारत घरेलू स्तर पर इसकी कमी को पूरा करने के लिए मसूर और तुअर सहित कुछ दालों का आयात करता है।

चालू रबी सत्र में बढ़े हुए इलाके में मसूर की खेती की गई है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, चालू रबी सत्र में 12 जनवरी तक मसूर का कुल रकबा बढ़कर 19.4 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 18.3 लाख हेक्टेयर था।

उन्होंने कहा कि रबी फसल सत्र में मसूर का उत्पादन 16 लाख टन होने का अनुमान है।

उन्होंने कहा कि देश में औसतन 2.6-2.7 करोड़ टन दालों का वार्षिक उत्पादन होता है। चना और मूंग के मामले में देश आत्मनिर्भर है लेकिन अरहर और मसूर जैसी दालों के मामले में उसे अभी भी आयात पर निर्भर रहना पड़ता है।

उन्होंने कहा, ‘हालांकि हम दालों में आत्मनिर्भरता हासिल करने की बात कर रहे हैं लेकिन आने वाले कुछ समय के लिए हमें शायद आयात चालू रखने की जरूरत है।’

उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को दालों की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है लेकिन इसके साथ खेती के सीमित रकबे को भी ध्यान में रखना होगा।

 

 

 

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