महिलाएं घरेलू हिंसा कानून का गलत इस्तेमाल कर रही हैं, जानें दिल्ली की अदालत ने क्यों कही यह बात
नई दिल्ली
घरेलू हिंसा का एक अजीबो-गरीब मामला अदालत के सामने आया है, जिसमें बहू ने अपने सास-ससुर, देवर-देवरानी और ननद पर घरेलू हिंसा का मुकदमा दर्ज कराया था। अदालत में सुनवाई हुई तो मामला पूरी तरह पलट गया। इस पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि महिलाएं घरेलू हिंसा कानून का गलत इस्तेमाल कर रही हैं। दरअसल, जिस घर में यह महिला अपने पति के साथ रह रही है वह बुजुर्ग ससुर के नाम पर है, लेकिन सास-ससुर ही किराये के मकान में रह रहे हैं। कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अरुण सुखीजा की अदालत ने बहू के इस रवैये पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट पूर्व में ही घरेलू हिंसा कानून को परिभाषित कर स्पष्ट कर चुका है कि यह कानून घर की चारदीवारी के भीतर महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों से संरक्षण देगा।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक मामले में यह भी कहा कि महिलाएं इस कानून का इस्तेमाल आर्थिक लाभ के लिए कर रही हैं। अदालत ने कहा कि इस मामले में भी तथ्य यही बता रहे हैं कि यह महिला घरेलू हिंसा से पीड़ित नहीं है। बल्कि सास-ससुर की संपत्ति पर जमे रहने के लिए इसने घरेलू हिंसा कानून का गलत इस्तेमाल किया है। अदालत ने कहा कि असल में जब सास-ससुर एक छत के नीचे रहते ही नहीं तो वह प्रताड़ित कैसे कर सकते हैं। बड़ी विडंबना है कि बुजुर्ग दंपति को मुकदमे के भय से अपने घर छोड़कर किराये पर रहना पड़ रहा है।
घर खाली करने का दिया था आदेश
इस मामले में चौंकाने वाली बात यह है कि शिकायतकर्ता महिला व उसके पति को वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण व कल्याण अधिकरण ने 27 जुलाई 2016 को बुजुर्ग सास-ससुर का मकान खाली करने का आदेश दिया था। इतना ही नहीं संबंधित थानाध्यक्ष को भी बुजुर्ग दंपति की सुरक्षा के लिए एक बीट कॉन्स्टेबल की तैनाती करने को कहा गया था। 17 जनवरी 2018 को शिकायतकर्ता के पति ने अपने पिता से माफी मांगकर समझौता कर लिया था। इसके बाद बेटे-बहू द्वारा दोबारा तंग किए जाने पर पूर्वी दिल्ली के जिला अधिकारी ने 24 घंटे के भीतर इस दंपति को अपने माता-पिता का घर खाली करने के निर्देश दिए थे।