भारतीय नौसेना के लिए 26 Rafale-M fighter jet खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी

नईदिल्ली

भारतीय नौसेना अब समुद्र में भी ताकतवर होने जा रही है. भारत और फ्रांस के बीच राफेल M के सौदे के लिए चर्चा शुरू हो गई है. राफेल-एम फाइटर जेट्स को आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य पर तैनात किया जाएगा. जहां पहले से MiG-29 फाइटर जेट्स तैनात हैं. दक्षिण एशिया की बात करें तो भारत और चीन के अलावा किसी अन्य देश के पास एयरक्राफ्ट कैरियर नहीं है. ऐसे में समंदर में वॉर पावर बढ़ाने के लिए राफेल M काफी अहम माना जा रहा है.

राफेल M पर चर्चा हुई शुरू

पिछले महीने डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल की घोषणा के बाद भारत और फ्रांस की टीमों ने परियोजना की बारीकियों पर चर्चा शुरू कर दी. रक्षा अधिकारियों ने इंडिया टुडे को बताया कि राफेल M डील पर चर्चा के लिए, फ्रांसीसी टीम पिछले हफ्ते भारतीय अधिकारियों के साथ चर्चा करने के लिए भारत आई थी.

रक्षा अधिकारी के मुताबिक, भारतीय टीम में रक्षा मंत्रालय और भारतीय नौसेना के अधिकारी शामिल थे, क्योंकि राफेल M का इस्तेमाल भारतीय नौसेना अपने विमान वाहक पोत से संचालन के लिए करेगी. 14 जुलाई को प्रधानमंत्री की फ्रांस यात्रा से ठीक पहले पिछले महीने रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में भारत द्वारा सौदे को मंजूरी दिए जाने के बाद यह भारतीय और फ्रांसीसी अधिकारियों की पहली बैठक है.

नेवी की मिलेंगे 26 राफेल M

इन विमानों का इस्तेमाल भारतीय नौसेना द्वारा आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य पर किया जाएगा, अभी नौसेना द्वारा मिग -29 का इस्तेमाल किया जाता है. भारत फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट एविएशन से दूसरा फाइटर जेट खरीदने जा रही है. भारतीय नौसेना पिछले कुछ सालों से विमानों और पनडुब्बियों की कमी से जूझ रही है. नौसेना अपनी आवश्यकताओं को तत्काल पूरा करने पर जोर दे रही है. रक्षा अधिग्रहण परिषद ने भारतीय नौसेना के लिए 26 राफेल-एम लड़ाकू विमान खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. इनमें 22 सिंगल-सीटर राफेल समुद्री विमान और चार ट्विन-सीटर ट्रेनर शामिल हैं. इसके अलावा पीएम मोदी की फ्रांस यात्रा के दौरान तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की खरीद का भी ऐलान हुआ था.

कितना ताकतवर है राफेल M?

  • – राफेल-एम 4.5 जेनरेशन का आधुनिक फाइटर जेट है, जिसे विमानवाहक युद्धपोत पर तैनात करने के लिए ही बनाया गया है.
  • – चीन के एयरक्राफ्ट कैरियर पर तीन तरह के मल्टीरोल फाइटर जेट तैनात हैं. पहला जे-10, दूसरा जे-15 और तीसरा सुखोई-30. जे-10 जेट 55.5 फीट लंबा, जे-15 जेट 73.1 फीट और सुखोई-30 जेट 72 फीट लंबा है. जबकि राफेल-एम 50.1 फीट लंबा है. यानी आकार में सबसे छोटा.
  •   – चीन का जे-10 फाइटर जेट को एक पायलट, जे-15 को 1 या 2 और सुखोई-30 को 2 पायलट मिलकर उड़ाते हैं. जबकि, राफेल को 1 या 2 पायलट उड़ाते हैं. जे-10 का कुल वजन 14 हजार KG, जे-15 का 27 हजार KG और सुखोई-30 का 24,900 किलोग्राम है. जबकि, राफेल का सिर्फ 15 हजार किलोग्राम है. यानी यह काफी हल्का है.
  • – चीन के जे-10 में 8950 लीटर की इंटर्नल फ्यूल कैपेसिटी है. जे-15 की 9500 लीटर और सुखोई-30 फाइटर जेट की 9400 लीटर फ्यूल कैपेसिटी है. राफेल-एम की फ्यूल कैपेसिटी करीब 11,202 किलोग्राम है. यानी सभी फाइटर जेट से ज्यादा देर फ्लाई कर सकता है. ज्यादा देर तक डॉग फाइट में भाग ले सकता है.
  • – जे-10 की अधिकतम गति 2205 किलोमीटर प्रतिघंटा है. जे-15 की मैक्सिमम स्पीड 2963 किलोमीटर प्रतिघंटा है. सुखोई-30 की अधिकत रफ्तार 2120 किलोमीटर प्रतिघंटा है. जबकि, राफेल-एम की अधिकतम गति 2205 किलोमीटर प्रतिघंटा है. यानी जे-15 से कमजोर लेकिन सुखोई से ऊपर और जे-10 के बराबर.
  • – जे-10 की कॉम्बैट रेंज 1240 किलोमीटर, जे-15 की फेरी रेंज 3500 किलोमीटर और सुखोई-30 की फेरी रेंज 3000 किलोमीटर है. जबकि, राफेल-एम की कॉम्बैट रेंज 1850 किलोमीटर है. इसकी फेरी रेंज 3700 किलोमीटर है. यानी सबसे बेहतर.
  • – जे-10 अधिकतम 59 हजार फीट, जे-15 फाइटर जेट 66 हजार फीट और सुखोई-30 करीब 57 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. जबकि राफेल-एम 52 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. इस मामले में यह चीन के तीनों फाइटर जेट से पीछे हैं.
  • – राफेल-एम में 30 मिलिमीटर की ऑटोकैनन गन लगी है. इसके अलावा 14 हार्डप्वाइंट्स हैं. इसमें तीन तरह के हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, हवा से सतह पर मार करने वाली सात तरह की मिसाइलें, एक परमाणु मिसाइल या फिर इनका मिश्रण लगा सकते हैं.

 

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