दिवंगत मुख्यमंत्रियों की प्रतिमाओं की स्थापना से भोपाल में एक नए संग्रहालय का शुभारंभ हुआ: मुख्यमंत्री चौहान

मध्यप्रदेश के विकास और निर्माण में सभी मुख्यमंत्रियों का अतुलनीय योगदान रहा है
मुख्यमंत्री चौहान ने दिवंगत मुख्यमंत्रियों की प्रतिमाओं का किया अनावरण
मुख्यमंत्री चौहान ने दिवंगत मुख्यमंत्रियों के परिजनों का शॉल, श्रीफल भेंट कर किया सम्मान

भोपाल

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मध्यप्रदेश के विकास और निर्माण में सभी मुख्यमंत्रियों को अतुलनीय योगदान रहा है। सभी ने अपने-अपने स्तर पर जन-कल्याण और विकास के श्रेष्ठतम कार्य किए। उनके योगदान को हम सब नमन करते हैं। मुख्यमंत्री चौहान मंत्रालय प्रांगण में दिवंगत मुख्यमंत्रियों की प्रतिमाओं के अनावरण अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि दिवंगत मुख्यमंत्रियों की प्रतिमाओं की स्थापना से भोपाल में एक नए संग्रहालय का शुभारंभ हुआ है। मंत्रालय प्रांगण का यह प्रतिमा संग्रहालय प्रदेशवासियों के साथ अन्य प्रदेशों से आने वाले लोगों के लिए भी एक प्रेरणा स्थल बनेगा।

मुख्यमंत्री चौहान ने श्रद्धेय पं. रविशंकर शुक्ला,भगवंतराव मण्डलोई, कैलाश नाथ काटजू, द्वारिका प्रसाद मिश्र, गोविन्द नारायण सिंह, राजा नरेश चन्द्र, श्यामाचरण शुक्ल, प्रकाश चन्द्र सेठी, वीरेंद्र कुमार सखलेचा, सुन्दरलाल पटवा, अर्जुन सिंह, मोतीलाल वोरा, बाबूलाल गौर का स्मरण किया। मुख्यमंत्री चौहान ने दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्रियों की प्रतिमाओं का अनावरण किया। उनके परिजनों से भेंट कर उनका शॉल, श्रीफल से स्वागत किया तथा परिजनों के साथ फोटो सेशन करवाया। मुख्यमंत्री चौहान ने मध्यप्रदेश गान के बाद दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम में सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री इंदर सिंह परमार उपस्थित थे।

प्रदेश में कई भाषाएँ, बोलियाँ औऱ संस्कृतियाँ समाहित हैं

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश का गठन 1 नवम्बर 1956 को हुआ। विंध्यभारत, मध्यभारत, महाकौशल और तत्कालीन मध्य प्रांतों के कुछ हिस्सों तथा भोपाल स्टेट को मिलाकर मध्यप्रदेश अस्तित्व में आया। हमारा प्रदेश बाकी राज्यों से अलग था, मध्यप्रदेश एक भाषा अथवा एक ही संस्कृति का प्रतिनिधित्व करने वाला राज्य नहीं था, इसमें कई भाषा, बोलियां औऱ संस्कृतियां समाहित हैं। एक नवम्बर 2000 को अलग पृथक राज्य छत्तीसगढ़ का गठन हुआ, जिससे मध्यप्रदेश का भौगोलिक स्वरूप परिभाषित हुआ। आगामी 1 नबम्बर को मध्यप्रदेश को बने 67 वर्ष पूरे हो जाएंगे। इन वर्षों में मध्यप्रदेश ने विकास की एक लम्बी मंजिल तय की है।

स्थापित मूर्तियां हमारी भावनाओं का प्रतिबिम्ब हैं

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि जब नया वल्लभ भवन बना तब ही भाव आया कि मध्यप्रदेश के निर्माण और विकास में जिन मुख्यमंत्रियों का योगदान रहा है उनकी प्रतिमाएँ स्थापित कर उनकी स्मृति को चिर-स्थायी बनाया जाए। इसी सोच की परिणीति आज कार्यक्रम में हो रही है। समिति कक्ष में पहले से ही सभी महानुभावों की तस्वीरें लगी हैं, पर उस कक्ष में कम लोग ही जा पाते हैं। आज स्थापित मूर्तियां हमारी भावनाओं का प्रतिबिम्ब हैं। प्रदेश के विकास में इन विभूतियों के योगदान से हमें सदैव प्रेरणा मिलती रहेगी।

मध्यप्रदेश की राजनैतिक मतभेदों के बावजूद मन भेदों से दूर रहने की परम्परा है

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश की राजनीति में राजनैतिक मतभेदों के बावजूद मन भेदों से दूर रहने की परम्परा रही है। मुख्यमंत्री के पद पर पहुँच कर लोग किसी पार्टी विशेष के नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के हो जाते हैं। मुख्यमंत्री चौहान ने दिवंगत मुख्यमंत्रियों के योगदान को याद किया।

मुख्यमंत्री चौहान ने प्रस्तुत की दिवंगत मुख्यमंत्रियों के योगदान की झलक

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि पं. रविशंकर शुक्ल मध्यप्रदेश के पुर्नगठन के बाद पहले मुख्यमंत्री बने, उन्होंने विद्यामंदिर योजना का सूत्रपात किया। भगवंतराव मंडलोई के कार्यकाल में बीएचईएल काशिलान्यास हुआ, मध्यप्रदेश विद्युत मंडल का गठन हुआ तथा मध्यप्रदेश विक्रय कर अधिनियम लागू किया गया। कैलाश नाथ काटजू के कार्यकाल में उचित मूल्य की दुकानों से खाद्यान्न दिलवाना आरंभ हुआ तथा शिक्षा व स्वास्थ्य में भी बड़े कार्य हुए। पं. द्वारिका प्रसाद मिश्र ने इंदौर में नर्मदा जल लाने की पहल की, उज्जैन और रतलाम में औद्योगिक इकाईयां स्थापित कीं। भोपाल में नए सचिवालय, विभागाध्यक्ष कार्यालय और शासकीय आवास बनाने का निर्णय लिया गया तथा पचमढ़ी को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया।

प्रदेश बनने के 16 साल बाद जिला मुख्यालय सीहोर की तहसील भोपाल को बनाया गया जिला

मुख्यमंत्री चौहान ने बताया कि गोविंद नारायण सिंह ने रीवा में विश्वविद्यालय की स्थापना की तथा पचमढ़ी में ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की परम्परा को समाप्त किया। राजा नरेश सिंह के कार्यकाल में भी अभूतपूर्व कार्य हुए। श्यामाचरण शुक्ला ने लघु सिंचाई योजना के क्षेत्र में विशेष कार्य किया और भोपाल में विश्वविद्यालय की स्थापना की। प्रकाश चंद्र सेठी ने समर्थन मूल्य की नीति तैयार कराई, विपणन बोर्ड की स्थापना का निर्णय किया और प्रदेश बनने के 16 साल बाद जिला मुख्यालय सीहोर की तहसील भोपाल को जिला बनाया। कैलाश जोशी राजनीति के संत कहे जाते थे, उन्होंने झुग्गी बस्तियों के लिए आवास गृह बनाने का निर्णय लिया। वीरेंद्र कुमार सखलेचा ने शासकीय सेवा में अधिकतम आयु सीमा 28 वर्ष से बढ़ाकर 30 वर्ष की। पर्यटन निगम और भोपाल में फूट क्राफ्ट इंस्टीट्यूट स्थापित किया तथा देसी चिकित्सा पद्धति के विकास के लिए अलग संचालनालय बनाया। सुंदर लाल पटवा का फोकस ग्रामीण विकास पर रहा। माखन लाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय की स्थापना और प्रदेश में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण समाप्त करना उनकी बड़ी उपलब्धि रही। पहली बार किसान कर्ज माफी की गई तथा उन्होंने कमजोरों के लिए पंचधारा योजनाएं लागू कीं। अर्जुन सिंह ने तेंदूपत्ता संग्रहण के सहकारीकरण का कार्य किया, भारत भवन की स्थापना की, झुग्गी वासियों को मालिकाना हक दिलवाया और संस्कृति विभाग तथा महिला बाल विकास का गठन किया।

भोपाल में वीआईपी रोड और नगरों के सौंदर्यीकरण के लिए गौर सदैव याद किए जाएंगे

मुख्यमंत्री चौहान दिवंगत मुख्यमंत्रियों के योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मोतीलाल वोरा ने रायपुर में कृषि विश्वविद्यालय की शुरूआत की तथा इंदिरा सागर परियोजना का कार्य आरंभ कराया। बाबूलाल गौर ने रोजगार निर्माण बोर्ड के गठन का कार्य अपने कार्यकाल में किया। प्रदेश में अतिक्रमण हटाने की सफल मुहिम, भोपाल में वीआईपी रोड और नगरों के सौंदर्यीकरण के लिए वे सदैव याद किए जाएंगे।

मुख्यमंत्री चौहान ने दिवंगत मुख्यमंत्रियों की प्रतिमाएं स्थापित कर विशिष्ट परम्परा का निर्वहन किया : मंत्री परमार

सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि मुख्यमंत्री चौहान ने दिवंगत मुख्यमंत्रियों की प्रतिमाएं स्थापित कर विशिष्ट परम्परा का निर्वहन किया है। प्रदेश के निर्माण में योगदान देने वाले सभी दिवंगत मुख्यमंत्रियों की स्मृतियों को अक्षुण्ण बनाए रखने का यह प्रयास चौहान की संवेदनशीलता को दर्शाता है। अपर मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन विनोद कुमार ने आभार व्यक्त किया।

 

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