शास्त्र के अनुसार एकादशी के दिन भूलकर भी नहीं खाने चाहिए चावल

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो व्यक्ति भी व्रत और उपवास करता है उसकी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। वहीं शास्त्रों में लिखे नियमों के अनुसार इस दिन चावल खाने की मनाही होती है। एकादशी को सर्वश्रेष्ठ पर्व माना जाता है. एकादशी पर्व में व्रत रखकर पूजा करने से श्रद्धालु को सीधा लाभ मिलता है. आषाढ़ माह में एकादशी 14 जून को पड़ रही है. इसे योगिनी एकादशी के रूप में जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की मान्यता है.  आइए जानते हैं क्यों?

 हिंदू धर्म में एकादशी पर्व का खास महत्व है. इस दिन व्रत रख कर पूजा की मान्यता है. एकादशी व्रत के दौरान अन्न का सेवन वर्जित होता है, लेकिन चावल तो व्यक्ति को भूलकर भी नहीं खाना चाहिए, चाहे वह एकादशी का व्रत रखे या ना रखे. दरअसल चावल तामसिक भोजन की श्रेणी में आता है. इसके पीछे भी एक कथा है.

एकादशी के दिन चावल खाने की मनाही क्यों

शास्त्रों की मानें तो जो व्यक्ति इस दिन चावल का एक भी दाना खाता है उसे मुक्ति नहीं मिलती है और वो अगले जन्म में जीव का रूप धारण करता है। यदि हम शास्त्रों और ज्योतिष की बात करें तो इस दिन चावल खाने से व्यक्ति के लिए मुक्ति के द्वार बंद हो जाते हैं।

यहीं नहीं चावल खाना इस दिन पाप के समान माना जाता है और यदि आपके घर में कोई भी व्यक्ति एकादशी का उपवास करता है तो चावल के साथ तामसिक भोजन खाना भी वर्जित होता है।

जानिए क्या है कथा?

 पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां भगवती के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने अपने शरीर का ही त्याग कर दिया था. इसके बाद उनके शरीर के अंश पृथ्वी में समा गए थे. मान्यता है कि उन अंशों के धरती में समाने के परिणाम स्वरूप धरती से चावल के पौधे की उत्पत्ति हुई. यही कारण है कि चावल को अनाज नहीं अपितु जीव माना जाता है. महर्षि मेधा ने एकादशी के दिन शरीर त्याग किया था. यही कारण है कि एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित माना जाता है. (नोट: यह खबर मान्‍यता पर आधारित है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button