एशियन बैंक ने भारत की अर्थव्यवस्था पर जताया भरोसा, GDP ग्रोथ रेट का बढ़ाया अनुमान
नई दिल्ली
एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) ने भारत के लिए वित्त वर्ष 2024-25 की GDP ग्रोथ रेट का अनुमान गुरुवार को बढ़ाकर 7 प्रतिशत कर दिया। इससे पहले उसने वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। ADB ने कहा है कि भारत, एशिया और प्रशांत क्षेत्र में ‘एक प्रमुख वृद्धि इंजन’ बना रहेगा। वहीं, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) के सदस्य संजीव सान्याल ने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि का प्रदर्शन ‘अच्छा’ है, लेकिन इसे बरकरार रखने के लिए अब कुछ प्रयासों की जरूरत होगी। क्योंकि बाहरी माहौल को लेकर चिंताएं हैं जो पूरी तरह दूर नहीं हुई हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2024-25 में GDP वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। संजीव सान्याल का कहना है कि हमारा वर्तमान आर्थिक वृद्धि प्रदर्शन काफी अच्छा है।
अब यहां से काम इसे बनाए रखने का होगा। यदि मौसम की स्थिति और मॉनसून अनुकूल रहा तो उम्मीद है कि खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में भी नरमी आएगी। यह ऐसी स्थितियां तैयार करेगा जो सात प्रतिशत या उससे अधिक की वृद्धि गति के लिए काफी अनुकूल होंगी, जिससे कुछ हद तक अनिश्चित वैश्विक परिस्थितियों से भी आगे बढ़ा जा सकेगा।
दिक्कत क्या है?
सान्याल ने बताया कि एक्सपोर्ट काफी कमजोर बना हुआ है और ग्लोबल एक्सपोर्ट में अभी कोई गति नहीं दिख रही है। पश्चिम एशिया में तनाव, यूक्रेनी हमलों में रूसी तेल सुविधाओं का नष्ट होना और कई अन्य कारणों से हाल ही में तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई और यह 91 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल तक पहुंची…। खाने-पीने की बढ़ी कीमतें …काफी हद तक उत्पादन संबंधी समस्या नहीं है, बल्कि भंडारण की समस्या है। नौकरियों का सृजन करने की जरूरत है।
कैसा रहेगा ग्रोथ?
ADB के अनुसार, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की निवेश और उपभोक्ता डिमांड से मजबूत वृद्धि का मार्ग प्रशस्त होगा। वित्त वर्ष 2023-24 और वित्त वर्ष 2024-25 में नरमी के बावजूद वृद्धि मजबूत रहेगी। हालांकि, वित्त वर्ष 2024-25 का वृद्धि अनुमान 2022-23 वित्त वर्ष के अनुमान 7.6 प्रतिशत से कम है। ADB ने पिछले साल दिसंबर में वित्त वर्ष 2024-25 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 6.7 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया था।
क्या है ताकत?
भारत के लिए एडीबी के कंट्री डायरेक्टर मियो ओका का कहना है कि दुनिया की प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद भारत अपनी मजबूत घरेलू मांग और नीतियों के बल पर सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है।