2024 के लिए भाजपा ने कसी कमर, बना रही बारीक़ मगर दमदार रणनीति

 नईदिल्ली

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने  ‘300 पार’ का नारा दिया. इस नारे को बल देते हुए प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि यूपी 300 पार को 400 पार बनाने में पूरा जोर लगाएगा. पार्टी के इस दावे के पीछे लगातार बन रही रणनीतियां और नए वोटर्स का पार्टी से जुड़ाव एक महत्वपूर्ण कारण है.

बीजेपी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में बंपर जीत हासिल करने के बाद भी खुद को लगभग 25 हजार बूथों पर कमजोर स्थिति में पाया था. इन बूथों पर खुद को मजबूत करने के प्रयास में पार्टी की ओर से काफी काम किया गया है. जिसके दम पर बीजेपी ये दावा कर रही है.

2014 में 71 सीटें जीतकर रचा इतिहास

2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने राजनीति के सबसे बड़े किले उत्तर प्रदेश की 71 सीटों को अपने नाम किया था. 80 में से 71 सीट जीत कर बाकी क्षेत्रीय दलों को एक कोने में सिमेट देने वाली बीजेपी ने साल 2019 में भी अपना बेहतरीन प्रदर्शन जारी रखा.हालांकि पार्टी की सीटों में गिरावट हुई और इन चुनावों में बीजेपी के हाथ 62 सीट ही लगीं. 9 सीट गंवाने का एक प्रमुख कारण था मुख्य विपक्षी दलों- बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी का गठबंधन. 2014 के चुनाव में पार्टी की बड़ी जीत का श्रेय पार्टी के प्रमुख नेता नरेंद्र मोदी को जाता है. उनकी लोकप्रियता के बूते ही पार्टी ने यूपी में इतनी बड़ी जीत दर्ज की थी.

योगी-मोदी की पॉपुलेरिटी का डबल कॉम्बो

हालांकि 2022 के विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज करवा कर और विशाल बहुमत से लगातार दूसरी बार सरकार बनवा कर योगी आदित्यनाथ ने भी सूबे में अपनी पॉपुलेरिटी का लोहा मनवा दिया. उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी उन्हें सुदूर राज्यों के चुनावों में भी स्टार कैंपेनर के तौर पर प्रोजेक्ट करती रही है. अब पार्टी योगी और मोदी की पॉपुलेरिटी का डबल कॉम्बो इस्तेमाल करते हुए एक बार फिर से यूपी में 2014 का करिश्मा दोहराने की तैयारी में है.

हाल ही में आयोजित किए गए बीजेपी के स्थापना दिवस के कार्यक्रमों में इसकी बानगी भी पार्टी पेश कर चुकी है. 2024 लोकसभा चुनावों के मद्देनजर बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने 3 सदस्यों की एक समिति बनाई है, जो चुनावों के लिए आउटरीच प्रोग्राम तय करने के साथ-साथ रणनीति बनाएगी. आउटरीट प्रोग्राम के तहत पार्टी की कोशिश है कि सभी समुदायों और वर्गों तक पार्टी की पहुंच बनाई जा सके. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही अल्पसंख्यक समुदाय को पार्टी से जोड़ने की बात कह चुके हैं.

मुस्लिम वोट बैंक पर भी पैनी नजर

अब ये बात भी बीजेपी की रणनीति में साफ दिखाई देने लगी है. मुस्लिम आउटरीच प्रोग्राम के तहत सूफी संवाद महाभियान इसका एक हिस्सा है. देश की 60 ऐसी सीटों को जहां पर मुस्लिम आबादी की संख्या जीत-हार के फैसले में अहम रोल निभाती है, उनपर पार्टी के कुछ ट्रेनिंग प्राप्त लोग मुस्लिम समुदाय को सरकार की उन योजनाओं के बारे में विस्तार से बताएंगे, जो उनके भले के लिए चलाई जा रही हैं. इन सीटों में एक बड़ा हिस्सा उत्तर प्रदेश का है.

वहीं उत्तर प्रदेश में दलित समुदाय का वोट सत्ता की चाभी हासिल कराने में महत्वपूर्ण रोल अदा करता है. बीजेपी इस वोट को अपनी ओर खींचने की कोई कसर छोड़ना नहीं चाहती. इसी लिए पार्टी अप्रैल महीने के दूसरे सप्ताह से अपने नेताओं को दलित बस्तियों में भेजने वाली है, जो कि वहीं रुक कर उनकी समस्याओं को समझेंगे. साथ ही उन्हें सरकार की योजनाएं बताएंगे. 2019 में बीजेपी ने देश की कुल अनुसूचित जाति आरक्षित सीटों में से आधी ही अपने नाम की थीं. पार्टी इस आंकड़े को बढ़ा कर 2024 में विशाल जीत हासिल करने के प्रयास में है.

 

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