केजरीवाल के ‘पक्के वोटर्स’ में सेंध लगाएगी भाजपा, अमित शाह ने संभाला मोर्चा

नई दिल्ली
दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए अब एक महीने से भी कम का वक्त रह गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो रैलियों के बाद अब गृहमंत्री अमित शाह भी दिल्ली दंगल में मोर्चा संभालने जा रहे हैं। मोदी की तरह शाह भी अपने अभियान की शुरुआत आम आदमी पार्टी (आप) के सबसे बड़े वोट बैंक को अपनी ओर खींचने की कोशिश के साथ करेंगे। अमित शाह का यह कार्यक्रम करीब 30 लाख की आबादी और 20 सीटों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है।

दरअसल, गृहमंत्री अमित शाह 11 जनवरी को झुग्गी-झोपड़ियों के नेताओं के साथ मुलाकात करने जा रहे हैं। वह दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में मौजूद झुग्गी-झोपड़ियों वाली 3 हजार कॉलोनियों के प्रमुखों के साथ बातचीत करेंगे। यह बैठक शनिवार को जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में होने जा रही है। इसके जरिए भाजपा की कोशिश झुग्गी-झोपड़ियों के वोटर्स को अपने पाले में लाने की है, जो अभी तक मुख्यतौर पर 'आप' के समर्थक माने जाते रहे हैं।

भाजपा ने इस बार झुग्गी-झोपड़ियों में मौजूद 'आप' के सबसे बड़े वोटबैंक में सेंध लगाने के लिए कई दांव चले हैं। पिछले कई महीनों से दिल्ली के सांसद, विधायक और अन्य नेता झुग्गियों में जाकर रात बिताते हैं। करीब दो दर्जन नेता सप्ताह में एक रात झुग्गी में ही बिताते हैं। यहां रहने वाले लोगों की समस्याएं सुनते हैं और सरकार बनने पर उन्हें दूर करने का भरोसा देते हैं। 'जहां झुग्गी वहां मकान' के नारे को भी खूब प्रचारित किया जा रहा है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के अशोक विहार में 1675 फ्लैट्स झुग्गीवासियों को सौंपे हैं। प्रधानमंत्री ने अपने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे घर-घर जाकर सभी झुग्गीवालों को कह दें कि उन्हें भी इसी तरह पक्का मकान दिया जाएगा।

दिल्ली में करीब 675 झुग्गी कल्स्टर हैं, जिनमें से 18-20 फीसदी पूर्वी और उत्तर-पूर्वी लोकसभा क्षेत्रों में हैं। पिछले दो विधानसभा चुनावों में झुग्गी-झोपड़ियों को वोटर्स ने 'आप' को दिल खोलकर वोट किया। हालांकि, भाजपा का कहना है कि आम आदमी पार्टी ने झुग्गीवासियों से झूठे वादे किए। भाजपा कहती है कि पिछले 10 साल में झुग्गीवासियों के जीवन में कोई परिवर्तन नहीं आया है। दिल्ली की झुग्गियों में करीब 30 लाख लोगों की आबादी है, जिनमें से करीब आधे वोटर भी हैं। एक सर्वे के मुताबिक, 2020 में करीब 61 फीसदी ऐसे वोटर्स ने 'आप' का समर्थन किया जिनकी मदद से पार्टी 70 में से 67 सीटें जीतने में कामयाब रही।

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