‘लोकतंत्र के लिए खतरनाक’! लोकसभा में 35% राज्यसभा में 24% ही हुआ काम; बवाल पर सवाल

 नई दिल्ली
संसद के बजट सत्र में लोकसभा के कामकाज पर हंगामा भारी पड़ा और कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ। समूचे बजट सत्र में सदन की उत्पादकता 34.85 प्रतिशत थी। सत्र के पहले भाग की उत्पादकता 83.80 प्रतिशत रही, जबकि दूसरे की मात्र 5.29 प्रतिशत। जबकि, राज्यसभा के मामले में यह पूरा आंकड़ा केवल 24.4 फीसदी ही रहा।

लोकसभा
सदन की 25 बैठकें हुईं: लोकसभा में भारी हंगामे के बावजूद एक अहम बात यह रही कि सत्र को पूरे समय तक चलाया गया। 31 जनवरी से शुरू हुआ सत्र छह अप्रैल को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। 17वीं लोकसभा के इस 11वें सत्र के दौरान सदन की 25 बैठकें हुईं, जो 45 घंटे और 55 मिनट तक चलीं। दूसरी ओर, सदन स्थगित होने के बाद लोकसभा अध्यक्ष ने गुरुवार को सभी सदस्यों को चाय पर बुलाया था, हालांकि इसमें काफी कम सांसदों ने ही हिस्सा लिया।

धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा 13 घंटे 44 मिनट चली
सत्र में हुए कामकाज के विषय में ओम बिरला ने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा 13 घंटे 44 मिनट तक चली। इसमें 143 सदस्यों ने भाग लिया। केंद्रीय बजट पर सामान्य चर्चा 14 घंटे 45 मिनट तक चली, जिसमें वाद-विवाद में 145 सदस्यों ने हिस्सा लिया। सत्र के दौरान, आठ सरकारी विधेयक पेश किए गए और छह पारित किए गए।

लोक सभा के विभागों से संबद्ध स्थायी समितियों ने 62 प्रतिवेदन प्रस्तुत किए। सत्र के दौरान 29 तारांकित प्रश्नों का मौखिक उत्तर दिया गया। प्रश्नकाल के बाद सदस्यों द्वारा शून्य काल में लोक महत्व के कुल 133 मामले उठाए गए। नियम 377 के अधीन कुल 436 मामले लिए गए। सत्र में 23 वक्तव्य दिए गए और 2799 पत्र सभा पटल पर रखे गए।

सदस्यों का अनुचित व्यवहार देशहित में नहीं : बिरला
सत्र की समाप्ति पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, अनुचित आचरण और व्यवहार संसद और देश के लिए हितकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि सदन की गरिमा को गिराना कतई उचित नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि सदन की उच्च कोटि की मर्यादा रही है, किंतु कुछ सांसदों का आचरण सत्र के दौरान ठीक नहीं रहा। वेल में आकर कुछ सदस्यों द्वारा सदन की गरिमा को गिराना कतई उचित नहीं है। अनुचित व्यवहार सदन और देश की लोकतांत्रिक मर्यादाओं के लिए हानिकारक है। इस दौरान सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई केंद्रीय मंत्री मौजूद थे।

सत्तापक्ष ने की विपक्ष की आलोचना
सत्ताधारी सांसदों ने विपक्ष की आलोचना की। कानून मंत्री किरेन रिजिजू, राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल और संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के साथ संवाददाताओं से चर्चा में कहा, कांग्रेस एक व्यक्ति राहुल गांधी की खातिर संसद की कार्यवाही बाधित कर रहे हैं। आखिरी दिन भी कांग्रेस और उसके मित्रों ने सदन की कार्यवाही बाधित की। उन्होंने काले कपड़े पहने और फिर से संसद का अपमान किया।

बढ़ा नहीं अविश्वास प्रस्ताव का विचार
बजट सत्र के दूसरे चरण में कांग्रेस की तरफ से कथित तौर पर अविश्वास प्रस्ताव लाने का विचार परवान नहीं चढ़ा। सूत्रों का कहना है कि इस तरह के विचार का कोई ठोस आधार नहीं था। इसपर विपक्ष की ओर से कोई साझा कवायद भी नहीं दिखी। जबकि अडानी मुद्दे पर विपक्ष सत्ता पक्ष के खिलाफ एकजुट होकर विरोध कर रहा था। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के भीतर भी इस मसले पर एक राय नहीं थी। अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए एक तय प्रक्रिया है। इसके लिए 14 दिन पहले नोटिस देना होता है। कम से कम 100 सदस्यों का समर्थन भी जरूरी होता है।

राज्यसभा
लगातार व्यवधान के चलते बजट सत्र के दूसरे चरण में राज्यसभा के कामकाज की उत्पादकता महज 6.4 फीसदी ही रही। सभापति जगदीप धनखड़ ने सत्र का समापन होने से पहले जानकारी देते हुए बताया कि बजट सत्र के पहले हिस्से की उत्पादकता 56.3 प्रतिशत थी। जबकि दूसरे में यह घटकर मात्र 6.4 प्रतिशत रह गई। समग्र रूप से सदन की उत्पादकता केवल 24.4 प्रतिशत रही। राज्य सभा के 103 घंटे 30 मिनट व्यवधानों और शोर-शराबे की भेंट चढ़ गए।

संसद में हंगामे की परंपरा लोकतंत्र के लिए खतरनाक : धनखड़
सभापति ने व्यवधान पर चिंता जताते हुए कहा कि आइए सदन के इस निराशाजनक प्रदर्शन पर विचार करें और इसका कोई रास्ता निकालें। जिस समय सभापति यह जानकारी दे रहे थे विपक्ष का हंगामा चलता रहा। राज्यसभा की कार्यवाही आखिरी दिन शोर-शराबे और हंगामे की वजह से बाधित रही। सुबह हंगामे की वजह से सदन दो बजे तक स्थगित हुआ। उसके बाद सदन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया। गुरुवार को सत्र का आखिरी दिन था।

सभापति ने अपने संबोधन में कहा कि राज्य सभा का 259वां सत्र समाप्त हो रहा है, हालांकि आज एक चिंता का विषय भी है। उन्होंने कहा, संसद लोकतंत्र की प्रहरी है। जनता हमारी प्रहरी है। हम जनता के प्रति जवाबदेह हैं। जनता की सेवा करना हमारा प्राथमिक कर्तव्य है। सभापति ने कहा, संसद के पवित्र सदन लोगों के समग्र कल्याण, चर्चा और विचार-विमर्श और बहस के लिए हैं। यह कितनी बड़ी विडंबना है कि आज संसद में अव्यवस्था एक नई परंपरा बनती चली जा रही है। एक नया मानदंड बन रहा है, जो लोकतंत्र के लिए खतरनाक साबित हो रहा है।

 

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