भारत पर 155 लाख करोड़ रुपये का क़र्ज़, कांग्रेस की श्वेत-पत्र लाने की मांग की

नईदिल्ली

कांग्रेस ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के 9 वर्षों में भारत का ऋण तीन गुना बढ़कर 155 लाख करोड़ हो गया है. पार्टी ने उसने अर्थव्यवस्था की स्थिति पर एक श्वेत-पत्र लाने की मांग की है.

एक ​रिपोर्ट के मुताबिक, एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार का ‘आर्थिक कुप्रबंधन’ अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति के लिए जिम्मेदार है.

उन्होंने दावा किया कि मई 2014 में मोदी के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद से 100 लाख करोड़ रुपये का कर्ज का बोझ और बढ़ गया है.

श्रीनेत ने कहा, ‘गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी राजनीति के दूसरे छोड़ पर खड़े लोगों को अक्षम, अयोग्य और भ्रष्ट बताकर दोष दिया करते थे, यही विशेषण आज उनके और उनकी सरकार के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त लगते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘भारत की आर्थिक विकास की कहानी को बर्बाद करने, भारी बेरोजगारी पैदा करने और बढ़ती मुद्रास्फीति के बाद मोदी ने अकल्पनीय काम किया है, जो भारत के कर्ज में 100 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बढ़ोतरी करता है, जो खतरनाक स्तर पर है.’

कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि 2014 में भारत का कर्ज 55 लाख करोड़ रुपये था और अब यह 155 लाख करोड़ रुपये हो गया है. 67 वर्षों में 14 प्रधानमंत्रियों के रहते यह 55 लाख करोड़ रुपये था, जबकि मोदी के कार्यकाल में 100 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि देखी गई.

श्रीनेत ने कहा, ‘आर्थिक प्रबंधन, हेडलाइन मैनेज करने (अपनी हिसाब की खबर प्रसारित करवाने) के समान नहीं होता. यह टेलीप्रॉम्प्टर के माध्यम से नहीं किया जा सकता है और निश्चित रूप से वॉट्सऐप फॉरवर्ड के जरिये नहीं किया जा सकता. हम भारतीय अर्थव्यवस्था पर एक श्वेत-पत्र की मांग करते हैं, क्योंकि खामियां गहराती जा रही हैं.’

यह पूछे जाने पर कि क्या भारत की स्थिति श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे अपने पड़ोसियों के समान है, उन्होंने कहा कि भारत की बुनियाद मजबूत है.

उन्होंने कहा, ‘हमारी बुनियादें मजबूत हैं, लेकिन मोदी सरकार हर दिन थोड़ा-थोड़ा करके इसे खत्म करने का काम कर रही है.’

श्रीनेत ने यह भी दावा किया कि देश की 3 फीसदी संपत्ति रखने वाले निचले 50 फीसदी भारतीयों ने जीएसटी संग्रह का 64 प्रतिशत भुगतान किया. वहीं, सबसे अमीर 10 फीसदी लोग, जिनके पास देश के 80 फीसदी संसाधन हैं, केवल 3 फीसदी जीएसटी का भुगतान करते हैं.

कांग्रेस नेता ने कहा कि भारत का ऋण-जीडीपी अनुपात बढ़कर 84 फीसदी हो गया है और यह अन्य विकासशील और उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में खतरनाक है, जहां औसत ऋण-जीडीपी अनुपात 64.5 फीसदी है.

श्रीनेत ने कहा, ‘भारत इस बढ़ते कर्ज को चुकाने के लिए 11 लाख करोड़ रुपये की वार्षिक लागत वहन कर रहा है. अब भारत की कर्ज चुकाने की क्षमता पर सवाल उठ रहे हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘कैग की रिपोर्ट के अनुसार, 2019-20 में सरकारी कर्ज जीडीपी का 52.5 फीसदी था और उस साल ऋण स्थिरता नकारात्मक हो गई थी. जीडीपी के 84 फीसदी कर्ज के साथ ऋण स्थिरता संदिग्ध हो गई है.’

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button