जिंदा रहने के लिए पिया टॉयलेट का पानी, नहीं देते थे खाना… 6 महीने बाद लीबिया से लौटे युवकों ने सुनाई आपबीती

कुरुक्षेत्र
 डॉलर कमाने की चाहत में हरियाणा और पंजाब इटली जाना चाहते थे। लेकिन उनके साथ कुछ ऐसा हुआ कि उन्होंने लीबिया के जेल में 6 महीने तक रहना पड़ा। अब ये युवक 6 महीने बाद अपने घर वापिस लौटे हैं। घर लौट कर पीड़ितों ने सुनाया की उन्हें किन मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया कि वो लीबिया में बुरी तरह फंस गए। उनके पासपोर्ट, फोन, पैसा वहां के कुछ लोग द्वारा जब्त कर लिया गया। इतना ही नहीं उन्हें प्रताड़ित भी किया गया

एजेंट ने भेजना था इटली, मगर भेज दिया लीबिया की जेल
पीड़ित युवकों ने बताया कि एक एजेंट द्वारा इटली भेजने के नाम पर उनसे 13 लाख रुपए मांगे गए थे। लेकिन उन्हें इटली न भेज लीबिया भेज दिया गया। उन्हें कहा गया कि अभी कुछ दिन सभी को लीबिया में रहकर काम करना होगा। उसके बाद इटली भेज दिया जाएगा। मगर युवकों के साथ इस प्रकार का बरताव किया जाता था। कभी एक जगह तो कभी दूसरी जगह इन युवकों को बेच दिया जाता था। लीबियन उनसे हर प्रकार का काम भी करवाते थे। उन्हें लीबिया की जेल में बद कर दिया गया था।

पीड़ितों को नहीं होता था खाना नसीब, पीना पड़ता था टॉयलेट का पानी
पीड़ितों ने बताया कि जब उन्हें लीबिया की जेल में ने बंद कर दिया गया तो उन्हें प्रताड़ित किया जाता था। 2 से 3 दिन तक कुछ भी खाने को नहीं दिया जाता था। इतना ही नहीं उन्हें जिंदा रहने के लिए टॉयलेट का पानी भी पीना पड़ता था। पीड़ित युवकों ने बताया कि वह इस प्रकार से बेचे गए अकेले भारतीय नहीं थे। उनके अलावा भी बहुत लोग थे। जब सभी लीबिया की एक जेल में इकट्ठा हुए तब उनमें से एक युवक के पास मोबाइल फोन था। जो वह छुपा कर रखता था। इस मोबाइल फोन के जरिए वह लोग भारतीय एंबेसी से बात कर पाए। भारतीय एंबेसी ने उन्हें वापस भारत लाने में उनकी सहायता की ओर आखिरकार अब सभी युवक 6 महीने बाद अपने वतन भारत वापस लौट चुके हैं।

पीड़ित के परिजन हो गए थे मानसिक स्थिति का शिकार
पीड़ित राहुल की बहन सोनिया ने बताया कि उनके भाई को दूसरी जिंदगी मिली है। जिन हालातों में उनके भाई को रखा गया था वहां से जिंदा वापस आना नामुमकिन लगता था। सोनिया भगवान और सरकार को धन्यवाद देती है कि उनका भाई वापस भारत आ पाया। वह बताती है कि जब भाई लीबिया में था तब वह पूरी रात नहीं सो पाते थे और रात को कई बार उठ खड़े होते थे।

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