देश में हर साल तेजी से बढ़ रही गर्मी, घट रहे ठंड के दिन; क्या होगा असर

नई दिल्ली
देश में हीटवेव के दिनों की संख्या बढ़ रही है जबकि कोल्ड वेव के दिन घट रहे हैं। हैदराबाद विश्वविद्यालय के ओसियन एंड एटमॉस्फेरिक साइंसेज सेंटर, आईआईटी मद्रास, आईएमडी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन में यह खुलासा हुआ है। यह अध्ययन जर्नल ऑफ अर्थ सिस्टम साइंस के हालिया अंक में प्रकाशित हुआ है।

अध्ययन के अनुसार असामान्य रूप से उच्च तापमान वाले दिन हर साल गर्मियों के दौरान बढ़ रहे हैं। जबकि कम तापमान वाले दिन हर साल सर्दियों के दौरान कम हो रहे हैं। हीटवेव और कोल्ड वेव का कृषि, मानव स्वास्थ्य तथा औद्योगिक उत्पादन पर गंभीर तथा प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। हाल के दशकों में वैज्ञानिकों ने इसपर व्यापक अध्ययन किया है।

1970-2019 तक की घटनाओं का अध्ययन
शोधकर्ताओं ने वर्ष 1970 से 2019 तक के दैनिक अधिकतम और न्यूनतम तापमान के आंकड़ों का विश्लेषण किया ताकि असामान्य रूप से उच्च और निम्न तापमान वाले दिनों की आवृत्ति की प्रवृत्ति की पड़ताल की जा सके। अध्ययन में पाया गया कि हीटवेव प्रति दशक 0.6 घटनाओं की दर से बढ़ रही हैं जबकि शीत लहर की घटनाओं में प्रति दशक 0.4 घटनाओं की दर से कमी आ रही है।

अध्ययन का नेतृत्व हैदराबाद विश्वविद्यालय के ओसियन एंड एटमॉस्फेरिक साइंसेज सेंटर फैकल्टी अनिंदा भट्टाचार्य तथा डॉक्टर अबिन थॉमस ने आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर चंदन सारंगी, वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टिट्यूट के डॉक्टर पी एस रॉय तथा भारत मौसम विज्ञान विभाग, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के डॉक्टर विजय के सोनी के सहयोग से किया है।

अधिकांश उत्तर पश्चिम भारत लू से जूझ रहा
अध्ययन के अनुसार अधिकांश उत्तर-पश्चिम भारत लू की स्थिति के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है जबकि मध्य प्रायद्वीपीय भारत भी हाल के दशक में लगातार गर्म हवाओं का अनुभव कर रहा है। पर्वतीय, शुष्क और अर्ध-शुष्क तथा उष्णकटिबंधीय आर्द्र और शुष्क जलवायु क्षेत्रों में शीत लहरों की औसत अवधि में कमी आई है।

 

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