आचार संहिता लागू होने के बाद शिकायतों की बाढ़

भोपाल

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद शिकायतों की बाढ़ आ गई है। आयोग के पास एक सप्ताह के भीतर ही 1100  से अधिक शिकायतें पहुंच चुकी हैं। विपक्षी दल कांग्रेस ने सागर,  नरसिंहपुर कलेक्टर और मुरैना एसपी की शिकायत की है। विपक्ष ने अधिकारियों पर पक्षपात समेत कई गंभीर आरोप लगाए हैं। इससे पहले कांग्रेस की शिकायत पर दो कलेक्टर और दो एसपी को हटाया जा चुका है।

मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर 9 अक्टूबर से आदर्श आचार संहिता प्रभावी हो गई है, इसके साथ ही चुनावी शिकवे- शिकायतों को दौर शुरू हो गया हैं। काग्रेस सांसद विवेक तन्खा और नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह की शिकायत पर भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश पर राज्य सरकार खरगोन कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा, रतलाम कलेक्टर नरेन्द्र कुमार सूर्यवंशी और जबलपुर एसपी तुषारकांत विद्यार्थी और भिंड एसपी मनीष खत्री को हटाकर उनके स्थान पर नये अधिकारियों की तैनाती कर चुकी हैं।

नरसिंहपुर कलेक्टर रिजु वाफना,सागर कलेक्टर दीपक आर्य और मुरैना एसपी सहित अब तक 1100 से अधिक शिकायत आ चुकी हैं। भारत निर्वाचन आयोग में हुई सीधी शिकायत के बाद जो चार कलेक्टर एसपी हटाए गये थे उन अफसरों पर नेताओं से रिश्तेदारी और भाजपा के पक्ष में काम करने की शिकायत की गई थी। इसके बाद चुनाव आयोग ने सीधे प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस को पत्र लिखकर इन्हें तत्काल प्रभाव से हटाने के  निर्देश दिये थे। अब नई सभी शिकायतों का आयोग अपने स्तर पर परीक्षण करा रहा हैं। शिकायत सहीं मिलने पर आयोग , भारत निर्वाचन आयोग से मार्गदर्शन लेकर कार्रवाई करेगा।

अधिकारियों पर पक्षपात का आरोप
अब हाल में ही मुख्य निर्वाचन कार्यालय में सागर कलेक्टर दीपक आर्य और नरसिंहपुर कलेक्टर ऋजु वाफना को लेकर शिकायत पहुंची हैं। नरसिंहपुर कलेक्टर को लेकर कांग्रेस के नेताओं ने यह शिकायत की है कि वह अभी भी सरकारी योजनाओं का प्रचार- प्रसार कर रही है।  उनपर भाजपा के पक्ष में काम करने का आरोप लगा है। सागर कलेक्टर पर भी भाजपा के एजेंट की तरह काम करने का आरोप लगा है। मुरैना एसपी शैलेंद्र सिंह चौहान की भी शिकायत पहुंची है।

शिकायतों में बाबू तक शामिल
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय में अब तक 11 सौ से अधिक शिकायत आ चुकी हैं। इनमें जिलों में  सरकारी कार्यालयों में पदस्थ, आरआई, बाबू, तहसीलदार, एसडीएम सहित कलेक्टर तक की शिकायत हो रही हैं। इन अधिकारियों के लंबे समय से एक ही स्थान पर जमें रहने, सत्तारूढ़ दल के  पक्ष में काम करने और मतदाता सूची में अनावाश्यक रूप से नाम हटाए जाने या नाम नहीं जोड़े जाने को लेकर की जा रही हैं। रीवा में पदस्थ एडीशनल कलेक्टर नीलमणि को लेकर शिकायत आई है कि उन्हें कलेक्टर कार्यालय से हटाकर रीवा आपूर्ति निगम कार्यालय में पदस्थ कर दिया गया है। उन्हें रीवा से हटाया जाए । क्योंकि उनके रहते हुए विधानसभा चुनाव निष्पक्ष रूप से होने में बाधा उत्पन्न होगी।  दूसरी शिकायत तहसीलदार शामगढ़ की आई है वे उनके यहां पदस्थ कर्मचारी दिलीप का दबादला कयामपुर होने के बावजूद भी उसे रिलीव नहीं कर रहे है। जबलपुर में पदस्थ डिप्टी कलेक्टर पीके सेन गुप्ता , मंदसौर में पदस्थ राजस्व निरीक्षक राकेश नरवरिया और विक्रम सिसौदिया को लेकर आई है। इसके ऊपर सत्तारूढ़ दल के साथ मिलकर काम करने का आरोप हैं। जिसके कारण इंहे हटाने की मांग की गई है।

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