‘हिंदुत्व’ और ‘मोदी फैक्टर’ या ‘गहलोत की गारंटी, इसी से फतह होगा अजमेर का सियासी किला

अजमेर
ब्रह्मा की नगरी पुष्कर और ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के लिए विख्यात अजमेर में इन दिनों विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी उफान पर है। दो प्रमुख दलों कांग्रेस और भाजपा के अपने अपने दावे हैं । लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता और हिंदुत्व के सहारे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपना यह मजबूत किला महफूज रख पाएगी या अशोक गहलोत सरकार की योजनाएं तथा कांग्रेस की 'सात गारंटी' तस्वीर को बदल देंगी।

पिछले करीब दो दशक से आमतौर पर अजमेर का जनमत भाजपा के साथ रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में प्रदेश में अपनी सत्ता गंवाने के बावजूद भाजपा अजमेर जिले की आठ में से छह सीटें जीतने में सफल रही थी। परंपरागत रूप से भाजपा के समर्थक माने जाने वाले वर्गो में 'हिंदुत्व' के मुद्दे के अहम होने, प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता और हर पांच साल में सरकार बदलने की रवायत इस बार भी भाजपा की राजनीतिक जमीन को खासी मजबूती दे रही है।
 
यह जरूर है कि अजमेर उत्तर और कुछ अन्य सीटों पर बागियों का चुनाव मैदान में होना उसके लिए एक चुनौती है। कांग्रेस इस बार अपना पूरा प्रचार अभियान चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना, 500 रुपये का सिलेंडर तथा कुछ अन्य योजनाओं और सात चुनावी गारंटी पर केंद्रित किए हुए है। वह इनके जरिये भाजपा के इस किले को भेदने की कोशिश में है। हालांकि स्थानीय स्तर की गुटबाजी उसके लिए परेशानी का सबब है। अजमेर में दोनों प्रमुख दलों के समर्थक मतदाता खुलकर अपनी राय जाहिर करते हैं।

अजमेर शहर के एक स्थानीय व्यवसायी विनोद कुमार जैन का कहना है कि अजमेर, खासकर शहरी क्षेत्र का मतदाता इस बार भी बड़े स्तर पर भाजपा के साथ नजर आ रहा है। उन्होंने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, "मेरी राय में अजमेर शहर में नतीजा इस बार भी पिछली बार की तरह ही होगा… हर पांच साल में सरकार बदलने का सिलसिला बना रहेगा।" अजमेर के एक होटल में बतौर उप प्रबंधक कार्यरत तथा मसूदा विधानसभा क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले 24 वर्षीय राहुल मेघवाल का मानना है कि शहरी क्षेत्रों में भाजपा की स्थिति मजबूत है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस को खारिज नहीं किया जा सकता और इसकी सबसे बड़ी वजह 'चिरंजीवी' योजना, 500 रुपये का गैस सिलेंडर तथा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा घोषित सात 'गारंटी' है।
 

उनका कहना था, "मुझे लगता है की गहलोत की सात गारंटी और अन्य योजनाओं के बारे में जिस तरह से व्यापक प्रचार-प्रसार हो रहा है, वह नतीजों को तय करने में निर्णायक साबित होगा।" मेघवाल का यह भी कहना था, "राजस्थान में अजमेर उन कुछ स्थानों में से एक है जहां हिंदुत्व का मुद्दा भी असर करता है। कोई भले ही खुलकर न स्वीकार करे, लेकिन शहरी क्षेत्र की सीटों पर हिंदू-मुसलमान का मुद्दा भी कहीं ना कहीं हावी रहता है।" अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र के मतदाता और पेशे से टैक्सी चालक मोहम्मद रईस का दावा है कि इस बार अजमेर में उलटफेर हो सकता है। उन्होंने कहा, " मैंने महसूस किया है कि सरकार की योजनाओं से लोगों को लाभ हुआ है। मैं कई ऐसे लोगों को जानता हूं जिन्हें स्वास्थ्य बीमा योजना से बहुत फायदा हुआ है।

500 रुपये का सिलेंडर गरीब परिवारों के लिए राहत लेकर आया है। ऐसे में मुझे लगता है कि इस बार अजमेर में नतीजे अलग होंगे। " स्थानीय पत्रकार शौकत अहमद का कहना था, "अजमेर में भाजपा के लिए सबसे बड़ी मजबूती 'मोदी फैक्टर' है। प्रधानमंत्री की लोकप्रियता का निश्चित तौर पर भाजपा को लाभ मिल रहा है। हिंदुत्व के मुद्दे से उसकी ताकत और भी बढ़ जाती है।" उन्होंने यह भी कहा, "कांग्रेस के नजरिये से यह महत्वपूर्ण है कि कि वह सिर्फ आम जनता के मुद्दों पर अपना ध्यान केंद्रित किए हुए है। अगर सरकार की योजनाओं का असर यहां के मतदाताओं पर हुआ है तो अजमेर में लड़ाई दिलचस्प हो सकती है।"

अजमेर शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन का कहना था कि इस बार भाजपा 'हिंदुत्व' के नाम पर लोगों को गुमराह नहीं कर पाएगी और लोग कांग्रेस सरकार के कार्यों को प्राथमिकता देंगे। उन्होंने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, '' यह बात सही है कि अजमेर आरएसएस का एक गढ़ है। लेकिन यहां कांग्रेस भी स्थापित है… लोग समझ गए हैं कि भाजपा एक जुमलेबाज पार्टी है। लोग यह भी समझ गए हैं कि भाजपा सिर्फ धर्म के नाम पर राजनीति करती है। अब कोई इनकी जुमलेबाजी में नहीं आने वाला है।" उधर, भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री वासुदेव देवनानी का दावा था कि भाजपा हिंदुत्व को अपने जीवन में अपनाती है, लेकिन कांग्रेस को सिर्फ चुनाव के समय हिंदू याद आते हैं।
 

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