ब्रिटेन में मातृत्व अवकाश से लौटी कर्मचारी दोबारा हुई गर्भवती, नौकरी से निकालने पर कंपनी देगी मुआवजा

लंदन.

ब्रिटेन में मातृत्व अवकाश का लाभ लेने के बाद गर्भवती होकर काम पर लौटी एक कर्मचारी को कंपनी से निकाले जाने के मामले में अब न्याय मिला है। बताया गया है कि महिला को रोजगार न्यायाधिकरण की तरफ से मामले में जीत मिली है और कंपनी को उसे 28,000 पाउंड का मुआवजा देने का आदेश जारी किया गया है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, पोंटीप्रिड में फर्स्ट ग्रेड प्रोजेक्ट्स में एडमिन असिस्टेंट के तौर पर काम करने वाली महिला ने कंपनी के खिलाफ पक्षपाती तरीके से निकाले जाने से जुड़ा मामला दर्ज कराया था। महिला का नाम निकिता ट्विचेन है। उन्होंने बताया कि 2022 की शुरुआत में मातृत्व अवकाश से लौटने के बाद कुछ मीटिंग में उन्होंने कंपनी के प्रबंधन निदेशक जेरेमी मॉर्गन को बताया था कि वह गर्भवती हैं। निकिता के मुताबिक, उनकी इस बात से उनके बॉस चौंक गए।

कंपनी प्रबंधन ने घोषित किया 'अनावश्यक कर्मी'
कर्मचारी के मुताबिक, शुरुआत में प्रबंध निदेशक ने उनके काम पर लौटने को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। हालांकि, गर्भावस्था का खुलासा होने के बाद बॉस के उनके प्रति हावभाव में बदलाव आ गया। निकिता ने बताया कि जब मार्च 2022 में उनका मातृत्व अवकाश खत्म हुआ तब कंपनी ने उनसे संपर्क करने की कोई कोशिश नहीं की। इसके बाद उन्होंने कंपनी के प्रबंधन निदेशक को 4 अप्रैल की छुट्टी की पात्रता को लेकर ईमेल किया। हालांकि, उन्हें इसका जवाब नहीं मिला। निकिता ने 11 और 18 अप्रैल को भी छुट्टी की अर्जी को लेकर ईमेल किया। बाद में जेरेमी मॉर्गन ने जवाबी ईमेल में कहा कि कंपनी की आर्थिक दिक्कतों और पेमेंट में देरी की वजह से उन्हें अनावश्यक कर्मियों की श्रेणी में डाल रहा है। उन्होंने बाद में कहा कि कंपनी अब नया सॉफ्टवेयर ला रही है, जिसके तहत अब कंपनी में उनकी भूमिका खत्म हो जाएगी।

न्यायाधिकरण ने सुनाया कर्मी के पक्ष में फैसला
हालांकि, रोजगार न्यायाधिकरण ने निकिता ट्विचेन के पक्ष में फैसला सुनाया और कंपनी की तरफ से उन्हें अनावश्यक कर्मी घोषित करने के कारणों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने यह भी पाया कि जेरेमी मॉर्गन ने फरवरी 2022 में ही कहा था कि उनकी कंपनी बेहतर कर रही है और उसे कोई आर्थिक दिक्कत नहीं है। उन्होंने तब किसी नए सॉफ्टवेयर का जिक्र नहीं किया था, जिससे निकिता की कंपनी में भूमिका खत्म कर दी जाएगी। जज ने मामले में फर्स्ट ग्रेड कंपनी की ओर से किसी आर्थिक समस्या या नए सॉफ्टवेयर को लेकर सबूत पेश न कर पाने की भी आलोचना की। कोर्ट ने पाया कि कंपनी ने निकिता को हटाने की वजह बताता हुआ कोई लिखित दस्तावेज भी नहीं दिया था। न्यायाधिकरण ने माना कि निकिता को उनकी गर्भावस्था की वजह से कंपनी से निकाला गया। ट्रिब्यूनल के इस फैसले पर फर्स्ट ग्रेड प्रोजेक्ट्स ने निराशा जताई और आगे के कदमों और विकल्पों पर समीक्षा की बात कही।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button