छत्तीसगढ़-रायगढ़ में करैत के डसने से मरणासन्न हुआ मानविक, डॉक्टरों ने बचाई जान

रायगढ़.

रायगढ़ जिला मुख्यालय के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जहरीले करैत के डसने से मरणासन्न हालत में पहुंच चुके एक मासूम को नया जीवन मिला है। सर्पदंश से पीड़ित बालक का शरीर जहर से लकवाग्रस्त हो रहा था। वह 42 घंटे बेहोश था और उसे तीन दिनों तक वेंटीलेटर में रखा गया था। विशेषज्ञ डाक्टरों की निगरानी में अब बच्चे के चेहरे में मुस्कान लौट आई है।

जानकारी के मुताबिक, रायगढ़ के खरसिया ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले औरदा गांव के निवासी तुलेश्वर चैहान के तीन साल के बेटे मानविक चैहान को सोते समय घर में ही सुबह पांच बजे के करीब जहरीले करैत सांप ने दाहिने हाथ की उंगली में काट लिया। परिजन बच्चे को सिविल अस्पताल खरसिया लेकर गए। वहां चिकित्सकों द्वारा प्राथमिक उपचार कर बच्चे को बेहतर इलाज के लिए संत बाबा गुरु घासीदास स्मृति शासकीय चिकित्सालय रायगढ़ रेफर कर दिया गया। बच्चे को सुबह लगभग आठ बजे के आसपास संत बाबा गुरु घासीदास जी स्मृति शा. चिकित्सालय रायगढ़ के आपातकालीन विभाग में अत्यंत गंभीर स्थिति में भर्ती कराया गया।

दोनों पलकों को मार चुका था लकवा
बच्चे के शरीर में सांप का जहर फैल चुका था। बच्चे की आंखों की दोनों पलकों में लकवा मार चुका था। सांस लेने में तकलीफ  हो रही थी, मुंह से झाग आ रहा था। बच्चे के हाथ-पैर ठंडे पड़ गए थे एवं नाड़ी भी कमजोर हो रही थी। बच्चे को आपातकालीन विभाग में ही बाल्य एवं शिशुरोग विभाग के आपातकालीन ड्यूटी में उपस्थित डाक्टरों द्वारा त्वरित ईलाज प्रारंभ कर बच्चे को श्वास की नली डालकर कृत्रिम ऑक्सीजन की मशीन (वेंटीलेटर)में डाला गया तत्पश्चात बच्चे को चिकित्सकों की आपातकालीन टीम द्वारा बच्चे के आईसीयू वार्ड में शिफ्ट किया गया।

विशेषज्ञ डाक्टरों का प्रयास हुआ सफल
बच्चे के ईलाज के दौरान एंटी स्नैक वेनम, आइनोट्रोप उपयुक्त एंटीबायोटिक एवं वेंटीलेटर में रखा गया था। गंभीर स्थिति को देखते हुए डॉ.एल.के.सोनी, विभागाध्यक्ष बाल्य एवं शिशुरोग, डॉ.गौरव क्लॉडियस (असिस्टेंट प्रोफेसर), डॉ.अंशुल विक्रम श्रीवास्तव (एस.आर.), डॉ. दुष्यंत कुमार सिदार (जे.आर), डॉ. मेघा पटेल (जे.आर), डॉ. लीना पैंकरा (जे.आर), डॉ.आशीष मोटवानी (जे.आर) एवं डॉ.शालिनी मिंज (जे.आर) एवं स्टॉफ नर्सों की विशेष निगरानी में रखा गया जहां डॉक्टर एवं स्टॉफ नर्सों की अथक प्रयासों से बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार आना शुरू हुआ।

एक सप्ताह तक चला उपचार
मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल रायगढ़ के डॉक्टरों ने एक हफ्ते तक गहन इलाज कर उसकी जान बचाई और नया जीवनदान दिया। करैत भारत में पाए जाने वाले सर्वाधिक जहरीले सांपों में से एक है। इसका जहर न्यूरोटॉक्सिक होता है। जिससे नर्वस सिस्टम पर असर पड़ता है। सही समय पर इलाज न मिले तो जान बचने की गुंजाइश कम होती है। ऐसे में एक छोटे मासूम बच्चे की रायगढ़ मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की निगरानी में मिले उचित इलाज से जान बचाई जा सकी।

पूरे शरीर में फैल चुका था जहर
मरणासन्न हालत में उसे मेडिकल कॉलेज रायगढ़ में इलाज के लिए जब भर्ती कराया गया तो सांप का जहर पूरे शरीर में फैल चुका था उसकी स्थिति काफी गंभीर हो चुकी थी। शरीर में लकवे का असर दिख रहा था और सांस लेने में भी तकलीफ  हो रही थी। शुरुआती 40 से 42 घंटे तक वह पूरी तरह से होश में नहीं आया था और उसे वेंटीलेटर में रखना पड़ा था।

बच्चे को भेज दिया गया घर
बच्चे के शरीर में सांप के जहर का असर कम होने के उपरांत बच्चे को 3 दिवस पश्चात वेंटीलेटर से बाहर निकाला गया। वेंटीलेटर से बाहर निकलने के पश्चात् बच्चे के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हुआ। एक हफ्ते तक चले गहन इलाज से बच्चे के स्वास्थ्य में पूर्ण सुधार के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दिया गया।

डाक्टरों के प्रयास से बची बेटे की जान- तुलेश्वर चैहान
किसी भी माता-पिता के लिए अपने बच्चे को जिंदगी और मौत से लड़ते देखना बहुत हृदयविदारक होता है। नन्हा मानविक अपने माता पिता की इकलौती संतान है। करैत के डसने से उसकी हालत इतनी खराब हो चुकी थी कि शुरुआती 40 से 42 घंटे तक वह पूरी तरह से होश में नहीं था। लेकिन मेडिकल कॉलेज में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की टीम के साथ सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध होने से उसका बेहतर इलाज संभव हुआ। पिता तुलेश्वर चैहान कहते हैं कि डॉक्टरों के प्रयासों से उसके बच्चे की मुस्कान वापस लौट आई।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button