डब्ल्यूटीओ के विवाद निपटान निकाय में सुधारों के लिए औपचारिक बातचीत चाहता है भारत

डब्ल्यूटीओ के विवाद निपटान निकाय में सुधारों के लिए औपचारिक बातचीत चाहता है भारत

नई दिल्ली
भारत ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के विवाद निपटान निकाय में सुधार के लिए डब्ल्यूटीओ सदस्यों से औपचारिक बातचीत शुरू करने का आह्वान किया है। भारत का मानना है कि मौजूदा अनौपचारिक विचार-विमर्श कई देशों के लिए वार्ता में भागीदारी को लेकर अड़चन पैदा कर रहा है।

एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। अधिकारी ने कहा कि इस विषय पर औपचारिक बातचीत से अगले साल फरवरी में अबू धाबी में डब्ल्यूटीओ के निर्णय लेने वाले शीर्ष निकाय 13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (एमसी) में किसी तरह की सहमति बनाने में मदद मिल सकती है।

पिछले सप्ताह जिनेवा में डब्ल्यूटीओ सदस्यों के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक के दौरान यह मुद्दा उठा। कुछ देशों ने बातचीत की अनौपचारिक प्रणाली पर अपनी चिंताएं जताईं।

अधिकारी ने कहा, ''हमें इस प्रक्रिया को जल्द से जल्द औपचारिक बनाना होगा। भारत ने कहा कि अगर आप डब्ल्यूटीओ की विश्वसनीयता बनाए रखना चाहते हैं, तो हमें इसपर बात करने की जरूरत है।''

डब्ल्यूटीओ का विवाद निपटान निकाय (डीएसबी) इस 164 सदस्यीय निकाय का एक महत्वपूर्ण अंग है। वैश्विक निर्यात और आयात संबंधी नियमों की निगरानी के अलावा यह सदस्य देशों के बीच व्यापार विवादों पर निर्णय लेता है।

अधिकारी ने कहा, ''अमेरिका ने डीएसबी सुधारों में शामिल होना शुरू कर दिया है, लेकिन अनौपचारिक तरीके से। इसमें सभी सदस्यों को बोलने का मौका नहीं मिलता है। इन अनौपचारिक बैठकों में व्याख्या की कोई सुविधा नहीं है।''

कई डब्ल्यूटीओ सदस्य देशों के एक या दो प्रतिनिधि केवल जिनेवा में हैं। इसलिए वे सामान्य परिषद जैसी विभिन्न बैठकों में व्यस्त हो जाते हैं और इस वजह से डीएसबी सुधारों पर विचार-विमर्श में भाग नहीं ले पाते हैं।

अधिकारी ने कहा, ''तो, कुछ चिंताएं हैं। इसे हाल ही में जिनेवा में उठाया गया था। इसके पीछे भावना यह थी कि जितनी जल्दी हो सके, इस बारे में बातचीत औपचारिक होनी चाहिए। पूरी चर्चा डीएसबी पर समिति के तहत होनी चाहिए। अभी यह अनौपचारिक तरीके से हो रही है।''

नाम उजागर न करने की शर्त पर अधिकारी ने कहा, ''बातचीत को औपचारिक रूप दिया जाना चाहिए ताकि सभी सदस्य चर्चा में भाग ले सकें और अपने विचार दे सकें। भारत चाहता है कि बातचीत औपचारिक तरीके से हो।''

 

फिनकेयर के साथ विलय से सूक्ष्म वित्त कारोबार में उतरने में मदद मिलेगी : एयू एसएफबी

मुंबई
 फिनकेयर स्मॉल फाइनेंस बैंक के साथ विलय से एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक (एयू एसएफबी) को सूक्ष्म ऋण क्षेत्र में उतरने में मदद मिलेगी और दक्षिण भारत में उसकी उपस्थिति भी बढ़ेगी।

एक शीर्ष अधिकारी ने यह बात कही।

लघु वित्त बैंकिंग क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तहत फिनकेयर का एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक (एयू एसएफबी) में विलय एक फरवरी, 2024 से प्रभावी होगा। अभी इसके लिए कुछ जरूरी मंजूरियां ली जानी हैं।

एयू एसएफबी ने  शेयर बाजारों को सूचित किया कि उसने इस विलय को मंजूरी दे दी है।

फिनकेयर की नामित निदेशक दिव्या सहगल ने कहा कि इस सौदे की घोषणा के बाद बैंक की 625 करोड़ रुपये की आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) योजना ठंडे बस्ते में चली जाएगी। उन्होंने बताया कि बैंक के प्रवर्तक विलय से पहले इसमें 700 करोड़ रुपये डालेंगे।

पूर्ण रूप से शेयरों पर आधारित इस विलय को एक पूरक सौदा बताते हुए एयू एसएफबी के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) संजय अग्रवाल ने कहा कि जयपुर का यह बैंक अब सूक्ष्म वित्त खंड में उतरेगा।

अग्रवाल ने कहा कि सूक्ष्म वित्त कारोबार 10 प्रतिशत से अधिक का उच्च शुद्ध ब्याज मार्जिन प्रदान करता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राजनीतिक हस्तक्षेप अब भारत में बहुत बड़ा मुद्दा नहीं है।

एयू एसएफबी के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बैंक को दक्षिण के बाजारों में विस्तार में काफी साल लगते, लेकिन विलय से इसमें तेजी आएगी।

विलय के तहत फिनकेयर के शेयरधारकों को प्रत्येक 2,000 शेयरों पर एयू एसएफबी के 579 शेयर मिलेंगे। दोनों इकाइयां अगले 4-6 माह में इस सौदे को पूरा करना चाहती हैं। इस सौदे के लिए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से मंजूरी लेने की जरूत होगी।

विलय के बाद फिनकेयर के शेयरधारकों के पास एयू एसएफबी की 9.9 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी।

 

एलएंडटी को चालू तिमाही में मिले कई 'बड़े' ऑर्डर

नई दिल्ली
लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) की निर्माण इकाई को चालू तिमाही के दौरान घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों से कई बड़े ऑर्डर मिले हैं।

कंपनी के वर्गीकरण के अनुसार, 2,500 करोड़ रुपये से 5,000 करोड़ रुपये तक के ठेके बड़े ऑर्डर की श्रेणी में आते हैं।

कंपनी ने बीएसई को भेजी सूचना में कहा कि ये परियोजनाएं एलएंडटी कंस्ट्रक्शन के बिजली पारेषण और वितरण कारोबार को मिली हैं।

छत्तीसगढ़ में कंपनी को राज्य के बिजली पारेषण ग्रिड का बोझ कम करने के लिए पारेषण लाइन स्थापित करने का ऑर्डर मिला है। इसके अलावा कंपनी को सऊदी अरब, कुवैत और अन्य देशों में अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर मिले हैं।

 

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