इंदौर में चूड़ीवाले तस्लीम अली को कोर्ट ने किया बरी

इंदौर:

 इंदौर की एक अदालत ने चूड़ी बेचने वाले तस्लीम अली को सभी आरोपों से बरी कर दिया है। तस्लीम पर 2021 में एक नाबालिग लड़की से छेड़छाड़ और फर्जी नाम से व्यापार करने का आरोप था। यह मामला उत्तर प्रदेश के हरदोई निवासी तस्लीम के साथ हुआ था। इस घटना के बाद बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया था। तस्लीम के समर्थन में प्रदर्शन करने वालों को भी गिरफ्तार किया गया था। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष तस्लीम पर लगे आरोप साबित करने में नाकाम रहा है।

चूड़ी बेचने के दौरान लगा था छेड़छाड़ का आरोप

22 अगस्त 2021 को, उत्तर प्रदेश के हरदोई के 25 वर्षीय तस्लीम अली, इंदौर के बाणगंगा इलाके में चूड़ियां बेच रहे थे। तभी भीड़ ने उन पर फर्जी पहचान और नाबालिग से छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए हमला कर दिया। इस घटना का वीडियो वायरल हो गया। इसके बाद पुलिस स्टेशन पर देर रात विरोध प्रदर्शन हुआ। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सरकार से रिपोर्ट मांगी। कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया।

कथित आरोपियों की हुई थी गिरफ्तारी

तस्लीम ने भी अपने ऊपर हुए हमले की पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद उनके कथित हमलावरों को भी गिरफ्तार किया गया। तत्कालीन मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने आरोप लगाया था कि तस्लीम 'एक अलग समुदाय से होने के बावजूद हिंदू नाम से व्यापार कर रहा था'। उन्होंने कहा था कि 'दोनों पक्षों के खिलाफ' कार्रवाई की गई है।

पॉक्सो के तहत हुई थी कार्रवाई

तस्लीम पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354 (महिला की लज्जा भंग करना), 354-A (यौन उत्पीड़न), 467 (जालसाजी), 468, 471, 420 (धोखाधड़ी), 506 (धमकी) और पॉक्सो अधिनियम की धारा 8 (यौन उत्पीड़न) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

चार महीने तक जेल में रहा तस्लीम

तस्लीम को लगभग चार महीने जेल में बिताने पड़े। 2021 में एमपी हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी। हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपों की प्रकृति को देखते हुए उन्हें हिरासत में रखने की आवश्यकता नहीं है। हाईकोर्ट ने यह भी नोट किया कि तस्लीम का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है।

नाम गलत हो गया था दर्ज

सुनवाई के दौरान, हरदोई के बीरैचमऊ ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधियों ने अदालत को बताया कि वे तस्लीम को 'मुस्लिम बंजारा' के रूप में जानते हैं। वह विभिन्न राज्यों में चूड़ियां बेचता है। अदालत ने पाया कि तस्लीम के पास दो आधार कार्ड थे। एक में उसका नाम 'गोलू सिंह' लिखा था। वकील शेख अलीम ने स्पष्ट किया कि 'गोलू' एक उपनाम था। 'सिंह' गलती से उनके पिता के उपनाम से लिया गया था, जो एक आधिकारिक दस्तावेज में गलत दर्ज हो गया था।

अधिकारी ने कहा कि हो जाती हैं ऐसी गलतियां

अदालत ने यह भी देखा कि एक स्थानीय अधिकारी ने अपने बयान में स्वीकार किया कि मतदाता पहचान पत्र अक्सर आधिकारिक दस्तावेजों के मिलान के बजाय नामों की यादों के आधार पर जारी किए जाते हैं। इस प्रथा के कारण औपचारिक नामों और उपनामों के बीच अक्सर विसंगतियां होती हैं। इसके अलावा, अदालत ने इस बात पर प्रकाश डाला कि तस्लीम के पिता के पहचान दस्तावेजों में भी ऐसी ही त्रुटियां थीं। उनकी संपत्ति के रिकॉर्ड में एक तकनीकी गलती के कारण, तस्लीम के पिता, मोहर अली, को आधिकारिक कागजात में 'मोहर सिंह' के रूप में दर्ज किया गया था।

तस्लीम के आधार कार्ड में दिखी यह गलती

यह त्रुटि बाद में तस्लीम के आधार कार्ड में दिखाई दी, जहां उनके पिता का नाम 'मोहर अली' के बजाय 'मोहर सिंह' के रूप में दर्ज था।

जनप्रतिनिधियों ने बताया कि तस्लीम के परिवार ने गांव में एक घर बनाया है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उसके नाम पर 1.2 लाख रुपये मंजूर किए गए थे। ऋण प्राप्त करने के लिए आधार कार्ड का उपयोग किया गया था, लेकिन ऋण राशि अभी जारी नहीं हुई है।

पीड़िता भी आरोपी को नहीं पहचान पाई

अपने फैसले में, जस्टिस रश्मि वाल्टर ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा कि आरोपी ने लड़की से छेड़छाड़ की थी। लड़की भी तस्लीम की पहचान करने में विफल रही। जज ने कहा कि लड़की के माता-पिता ने आरोपी द्वारा दी गई धमकियों के बारे में कुछ नहीं बताया। हरदोई के गवाहों के बयानों को देखते हुए जाली दस्तावेजों (आधार कार्ड) के आरोप भी साबित नहीं हुए। इसलिए तस्लीम को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया। तस्लीम के वकील शेख अलीम ने बताया कि हमले का मामला, जिसमें तस्लीम शिकायतकर्ता हैं, जिला अदालत में लंबित है।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button