क्रिश्चियन फोरम के साथ बैठक में विधि आयोग ने दिया आश्वासन

रायपुर

छत्तीसगढ़ क्रिश्चियन फोरम सामान्य नागरिक संहिता, यूसीसी से जुड़े पांच विषयों पर विधि आयोग के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई है जिन पर उसने सकारात्मक ढंग से विचार करने का भरोसा दिया है। यह बात मानी गई है कि संविधान के अनुच्छेद 25 में लोगों को मिली धार्मिक स्वतंत्रता में आयोग दखल नहीं देगा। अन्य धर्म अपनाने वाले आदिवासियों को आदिवासी वर्ग में ही मान्यता देने के मामले में आयोग ने हस्तक्षेप करने से इंकार किया है क्योंकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

मालूम हो कि केंद्र सरकार इस समय सामान्य नागरिक संहिता तैयार करने का प्रयास कर रही है जिससे विभिन्न धर्मों के बीच एक तरह का कानून लागू किया जा सके। देश में अलग-अलग समुदाय इसके विरोध में सामने आ रहे हैं। जानकारी के मुताबिक 80 लाख आपत्तियां और सुझाव विधि आयोग को अब तक प्राप्त हो चुके हैं। छत्तीसगढ़ क्रिश्चियन फोरम सहित राज्य के 8 मसीही संगठनों को भी चर्चा और सुझाव के लिए विधि आयोग ने आमंत्रित किया था।

बीते 18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की अध्यक्षता में, चार सुप्रीम कोर्ट जस्टिस और गृह मंत्रालय के सचिव स्तर के अधिकारी के साथ एक बैठक हुई। इसमें छत्तीसगढ़ के मसीही समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हुए छत्तीसगढ़ क्रिश्चियन फोरम के अध्यक्ष अरुण पन्नालाल ने मांग की है कि धार्मिक स्वतंत्रता के अनुच्छेद 25 मे यूसीसी दखल नहीं करे। आयोग को बताया गया कि विभिन्न प्रदेशों में मसीही विवाह को अमान्य कर दिया गया है। इसकी जगह पर सरकारी पंजीयक कार्यालय में पादरी को पदस्थ किया है। यहां ईसाई डिनोमिनेशन के विवाह को संपन्न कर पंजीकृत किया जाता है। इस पर कड़ी आपत्ति ताते हुए तर्क दिया गया कि सरकार के पास सिर्फ पंजीकरण का अधिकार है। विवाह संपन्न करने का अधिकार नहीं। पन्नालाल ने बताया कि आयोग ने इस तर्क को स्वीकार किया है।
 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button