एमबीबीएस करने वाले छात्रों के लिए अब परिवार को गोद लेने की बाध्यता समाप्त

भोपाल
एमबीबीएस करने वाले छात्रों के लिए अब परिवार को गोद लेने की बाध्यता खत्म हो गई है। नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) ने ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन रेग्युलेशन 2023 (जीएमईआर) को वापस ले लिया है। जानकारी के मुताबिक अब एमबीबीएस के लिए एक बार फिर नए नियमों को लागू किया जा सकता है।

GMER को लागू कर 4 विषयों को किया  था शामिल
एनएमसी ने 12 जून को जीएमईआर को लागू कर उसमें चार विषयों को शामिल किया था। इसमें एमबीबीएस के छात्रों को एक परिवार गोद लेने के अलावा, सीबीएमई कॅरिकुलम, मेडिकल कॉलेजों में शोध की सुविधाएं और मानव संसाधन, काउंसिलिंग के लिए यूनिफॉर्म फॉर्मेट और दिव्यांग कोटे में दाखिले जैसे नियमों को शामिल किया था।

एनएमसी द्वारा जीएमईआर 2023 से एमबीबीएस दाखिले के लिए आल इंडिया कोटा और स्टेट कोटा की कंबाइंड काउंसलिंग की सिफारिश की गई थी। हालांकि फिलहाल इस पर भी संशय है। मालूम हो कि अभी दोनों कोटा के लिए काउंसलिंग अलग अलग होती है। इसके लिए मेडिकल कॉलेजों में आल इंडिया कोटे के लिए 15 फीसदी सीटें रिजर्व रखी जाती हैं। वहीं 85 फीसदी सीटों पर स्टेट अथॉरिटी द्वारा दाखिले दिए जाते हैं।

न्यूनतम 50% अंकों की अनिवार्यता खत्म
मालूम हो कि एनएमी में 2019 में कॉम्पेटेंसी बेस्ड मेडिकल एजुकेशन (सीबीएमई) के नियमों को लागू किया था। इससे पहले यूनिवर्सिटी की परीक्षा में शामिल होने के लिए 35 प्रतिशत इंटरनल असेमेंट मार्क्स की जरूरत होती थी। सीबीएमई नियमों के तहत इसे बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया था। यानि स्टूडेंट्स को प्रेक्टिकल और थ्योरी में मिलाकर 50 प्रतिशत अंकों की जरूरत होगी। दोनों का कॉम्बिनेशन अनिवार्य था। इसके पीछे एनएमसी का तर्क था कि इसमें सैद्धांतिक से अधिक प्रायोगिक पर जोर रहता है। यही नहीं इससे छात्रों की कक्षा में उपस्थिति बढ़ जाती। साथ ही कॅरिकुलम में मरीजों के साथ व्यवहार की शिक्षा दी जाती थी।

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