धार जिले में डायनासोर पार्क के पुराने कार्य फिर से करेंगे शुरू, अंचल के लोगों को मिलेगा लाभ

धार
जिले के बाग के ग्राम पाड़लिया में निर्माणाधीन डायनासोर पार्क को लेकर जल्द ही कार्य शुरू करने की स्थिति बनेगी। दरअसल जो काम बचे हुए हैं, उसको लेकर वन विभाग ने उच्च स्तर पर पत्र व्यवहार किया है। हालांकि अभी कोई राशि स्वीकृत नहीं हुई है। ऐसे में जो पुराने कार्य हैं, उनको ही शुरू किया जाएगा। एक दशक से डायनासोर पार्क निर्माण को लेकर प्रक्रिया चल रही है लेकिन यह धरातल पर अभी तक नहीं उतर पाया है। जिले में डायनासोर पार्क बनाने के लिए लंबे समय से प्रयास चल रहे हैं। धार जिले में पार्क के बन जाने से निश्चित रूप से लाभ अंचल के लोगों को मिलेगा। इसके तहत पर्यटन का ग्राफ बढ़ सकता है। इस तरह के कई लाभ से जुड़े हुए हैं। लेकिन अभी तक यह योजना कागज पर ही चल रही है। हालांकि बीच में बहुत अच्छे से कार्य किया गया था। खासकर 2 साल पहले इसमें मैदानी स्तर पर कई योजनाएं बनी। इधर वन विभाग के उच्च अधिकारियों ने इस मामले में विशेष रूचि लेते हुए इसे जियो पार्क के रूप में विकसित करने के लिए भी प्रयास किया।

वर्तमान में न तो जिओ पार्क के लिए कोई आगे कदम बढ़ पाया है और न हीं डायनासोर पार्क को लेकर कोई विशेष स्थिति बन पाई है। उल्लेखनीय कि यहां पर विज्ञान के विद्यार्थियों के लिए बहुत व्यवस्थित सुविधाएं की जाना है। इससे डायनासोर की हलचल वाली स्थली पर डायनासोर के अंडे उनके जीवाश्म से लेकर अन्य कई व्यवस्थाओं को लोग देख सकेंगे। वर्तमान में स्थिति चिंताजनक है अब जबकि 3 दिसंबर को मतगणना होने वाली है। ऐसे में 5 दिसंबर तक नई सरकार बनने की स्थिति भी स्पष्ट हो जाएगी।

परिणाम स्‍वरूप लोगों की यही उम्मीद है कि इस स्थान पर जल्द से जल्द डायनासोर पार्क अस्तित्व में आए। नई सरकार से कई सारी उम्मीदें हैं। इधर वन विभाग भी अपने स्तर पर इस दिशा में प्रयास कर रहा है। सबसे अहम बात यह है कि यहां पर यदि डायनासोर पार्क अस्तित्व में आ जाता है तो देसी विदेशी पर्यटक यहां पहुंचेंगे। विद्यार्थियों के साथ-साथ देश दुनिया के लोग भी यहां पर अध्ययन करने के लिए पहुंचेंगे।

इससे बाग एक बहुत बड़ा पर्यटन केंद्र बन सकता है। यहां पर बाग प्रिंट है। बाग गुफाएं हैं और डायनासोर पार्क होने से इस क्षेत्र को एक आर्थिक तरक्की के लिए नया आयाम मिलेगा। ऐसे में सभी चाहते हैं कि इस प्रक्रिया को बहुत तेजी से आगे बढ़ाया जाए। इस बारे में जिला वन मंडलाधिकारी अशोक कुमार सोलंकी ने बताया कि मैं डायनासोर पार्क का विजिट कर चुका हूं। इसके बाद हमने जो कार्य पेंडिंग है, उनको शुरू करने का निर्णय लिया है। जल्द ही कार्यों को शुरू करने की प्रक्रिया की जाएगी। विभाग को उच्च स्तर पर पत्र भी लिखा है।

जानें डायनासोर पार्क के बारे में
किसी पौधे या जानवर के अवशेष जो पिछले भूवैज्ञानिक युग में मौजूद थे और जिन्हें मिट्टी से खोदा गया है, जीवाश्म कहलाते हैं। वर्तमान युग में पुरानी सभ्यता, पौधों और जानवरों का सटीक अंदाजा लगाने के लिए जीवाश्मों का अध्ययन और शोध बहुत महत्वपूर्ण है। जीवाश्म संग्रहण एवं संरक्षण का ऐसा ही एक केंद्र धार जिले के बाग क्षेत्र में 89 हेक्टेयर क्षेत्र में आकार ले रहा है। डायनासोर जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान के रूप में जाना जाने वाला यह स्थान सदियों पुराने युग के कई जीवाश्मों को संग्रहीत रखेगा। बाग का पूरा क्षेत्र या कहें कि नर्मदा घाटी सदियों पुराने जीवाश्मों से भरी हुई है, जो इस जीवाश्म पार्क को और अधिक महत्वपूर्ण बनाती है।

बाग जीवाश्म पार्क में संरक्षित कुछ दुर्लभ जीवाश्म हैं
-शाकाहारी डायनासोर के 65 लाख वर्ष पुराने पेटीकृत अंडे, जिन्हें इतिहास में पाए गए सबसे बड़े अंडों में से एक माना जाता है।

सॉरोपॉड और एबेलिसॉरस डायनासोर की 65 से 100 मिलियन वर्ष पुरानी हड्डी के अवशेष, जिन्हें इतिहास में सबसे बड़े स्थलीय जानवरों में से एक माना जाता है।

-नर्मदा घाटी में मिले शार्क मछली के 74 से 100 करोड़ साल पुराने अवशेष मिले।

-70 लाख वर्ष पुराने, नर्मदा घाटी के आसमान छूते पेड़ भी है।

-नर्मदा जल में पाए जाने वाले 86 लाख वर्ष पुराने जीवाश्म समुद्री जीव शामिल है।

-बाग में इस जीवाश्म पार्क के विकास से पूरे मध्य प्रदेश और आसपास के क्षेत्रों में जीवाश्मों के अध्ययन, संरक्षण और संग्रह को बढ़ावा मिलेगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button