महाराष्ट्र में सियासी उठापटक, कई राज्यों में BJP का प्लान तैयार, विपक्ष के लिए टेंशन

मुंबई

विपक्षी एकता के लिए पटना में हुई मीटिंग के बाद से देश भर में गैर-एनडीए दल उत्साहित थे। विपक्ष का यहां तक कहना था कि बिहार और महाराष्ट्र में उनकी एकता भाजपा को भारी पड़ने वाली है। महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी और बिहार में महागठबंधन के चलते भाजपा की स्थिति कमजोर बताई जा रही थी। लेकिन चुनाव में अभी एक साल का वक्त बचा है और हालात अभी से बदलते दिख रहे हैं। एक तरफ भाजपा ने बिहार में मांझी को अपने साथ ले लिया तो वहीं महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के बाद अजित पवार को भी 40 विधायकों के साथ तोड़ लिया है। इससे महाराष्ट्र में भाजपा यानी एनएडी का खेमा मजबूत होता दिख रहा है।

यही नहीं कहा जा रहा है कि अन्य राज्यों में भी भाजपा ऐसा ही प्लान बना सकती है। बिहार और महाराष्ट्र के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी कोई बड़ा बदलाव हो सकता है। खबरें हैं कि भाजपा की रालोद नेता जयंत चौधरी से बातचीत चल रही है। यहां तक चर्चाएं हैं कि रालोद का भाजपा में विलय हो सकता है या फिर गठबंधन भी हो सकता है। महाराष्ट्र में यूपी के बाद सबसे ज्यादा 48 लोकसभा सीटें हैं। इसलिए यह राज्य अहम है। वहीं यूपी में भी सुभासपा को साथ लाने के बाद अब रालोद पर नजरें हैं। इसके अलावा निषाद पार्टी और अपना दल पहले से ही साथ हैं।

इस तरह भाजपा यूपी, बिहार और महाराष्ट्र में क्षेत्रीय दलों को साथ लेकर या फिर गुटबाजी का फायदा उठाते हुए खुद को मजबूत कर रही है। महाराष्ट्र में रविवार को जो घटनाक्रम हुआ, वह अचानक किसी विस्फोट जैसा नहीं था। सूत्रों का कहना है कि भाजपा और अजित पवार के बीच पिछले 4 महीनों से बात चल रही थी। शुरुआती दिनों में भाजपा के राज्य नेतृत्व के साथ अजित पवार की बात चल रही थी। फिर केंद्रीय नेतृत्व ने भी दखल दिया। यही नहीं किसी समझौते पर पहुंचने के लिए कई बार अजित पवार ने भाजपा नेताओं से मुलाकात की थी। इसके लिए वह दिल्ली आए थे और मई में होम मिनिस्टर अमित शाह से भी मीटिंग हुई थी।

बीते सप्ताह बनाई गई पूरी प्लानिंग, फिर अजित पवार की एंट्री

बीते सप्ताह भाजपा के महासचिव और महाराष्ट्र प्रभारी सीटी रवि मुंबई में थे। वह शुक्रवार को पार्टी की बैठकों में शामिल होने के लिए दिल्ली आए थे। माना जा रहा है कि पहले उन्होंने महाराष्ट्र में चर्चा की थी और फिर पूरी रिपोर्ट दिल्ली आकर पार्टी हाईकमान को दी गई। इसके अलावा गुरुवार को एकनाथ शिंदे ने अमित शाह और जेपी नड्डा से मुलाकात की थी। कहा जा रहा है कि इसी समय में सब कुछ फाइनल किया गया था और फिर अजित पवार की एंट्री हो गई, जिन्होंने 2019 में भी तड़के ही शपथ ले ली थी, लेकिन फिर पीछे हटना पड़ा।

 

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button