मालदीव से भारतीय सैनिकों को हटाने के लिए राष्ट्रपति मुइज्जू उठाए कदम

माले

मालदीव ने अपने देश में मौजूद भारतीय सैनिकों को हटाने के लिए बातचीत शुरू कर दी है, नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने इस बारे में एक इंटरव्यू में बात की है. बता दें कि नई दिल्ली और बीजिंग दोनों इस क्षेत्र में प्रभाव के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं. पिछले महीने राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह को अपदस्थ करने वाले मुइज्जू ने भारतीय सैनिकों को हटाने को लेकर प्रतिबद्धता की बात कही थी. नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने एक मीडिया इंटरव्यू में अपने देश से सैन्य उपस्थिति हटाने के लिए भारत के साथ बातचीत शुरू करने की बात कही है.

भारतीय सैनिकों को हटाने का मुद्दा था चुनावी वादा
बता दें कि मालदीव से भारतीय सैनिकों को हटाने का मुद्दा मुइज्जू द्वारा किया गया एक प्रमुख चुनावी वादा था. मुइज्जू ने हाल ही में चुनावों में पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह को हराया था. इस समय लगभग 70 भारतीय सैन्यकर्मी मालदीव में तैनात हैं, जो भारत की मदद से बने रडार स्टेशनों और उसके निगरानी विमानों की देखरेख कर रहे हैं.

परस्पर लाभप्रद और द्विपक्षीय संबंध को लेकर जताई इच्छा
इसके अलावा भारतीय युद्धपोत मालदीव के विशेष आर्थिक क्षेत्र में गश्त करने में अहम भूमिका निभाते हैं. मुइज्जू ने इंटरव्यू में कहा कि उन्होंने पहले ही भारत सरकार के साथ उसकी सैनिक मौजूदगी हटाने पर बातचीत शुरू कर दी है. उन्होंने उन बातचीत को पहले से ही बहुत सफल बताया. मुइज्जू ने द्विपक्षीय संबंध को लेकर इच्छा जताई है, जो कि परस्पर दोनों ही के लिए लाभप्रद होना चाहिए.

किसी अन्य देश को भी नहीं देने वाले है अनुमति
अपने इंटरव्यू में मुइज्जू ने यह भी जोड़ा कि, भारतीय सैनिकों को हटाने के लिए बातचीत शुरू करने का ये मतलब बिल्कुल नहीं है कि वह किसी अन्य देश को इसकी अनुमति देने वाले हैं. उन्होंने कहा कि भारतीय सैनिकों की जगह दूसरे देशों के सैनिक नहीं लेंगे. मुइज्जू ने कहा कि, भारत से सैन्य कर्मियों को हटाने के लिए कहना किसी भी तरह से यह संकेत नहीं देता है कि ‘मैं चीन या किसी अन्य देश को अपने सैन्य जवानों को यहां लाने की अनुमति देने जा रहा हूं.’

चीन और भारत के बीच बढ़ी खींचतान
मुइज्जू की जीत ने हिंद महासागर पर असर बढ़ाने के लिए चीन और भारत के बीच रस्साकशी को बढ़ा दिया है. मालदीव में एक के बाद एक आने वाली सरकारों का झुकाव या तो भारत या चीन की ओर रहा है. दोनों एशियाई शक्तियों ने मालदीव के बुनियादी ढांचे को उन्नत करने और कर्ज बढ़ाने में भारी निवेश किया है, क्योंकि वे एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं.

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