जन समर्थन और जन सैलाब का पर्याय बन रहीं हैं स्नेह यात्राएँ
भोपाल
स्नेह यात्रा का आज सातवां दिन
प्रदेश के सभी जिलों में स्नेह यात्रा को सात दिन हो चुके है। यात्रा में निरंतर जनसहभागिता और जनसमर्थन बढ़ता जा रहा है। समाज के सभी वर्ग मुक्त कंठ से शासन की इस पहल का स्वागत कर रहें है। पूज्य संतों को लोगों ने भाव विभोर होकर यही कहा कि हम तो जीवन भर आपके स्नेह के लिए तरसते रहे आज आपने स्वयं पधारकर धन्य कर दिया। केवट के पास गंगा तट पर जैसे प्रभु श्रीराम आये थे उसी तरह संतजन हमारे द्वारे आये हैं।
स्नेह यात्राओं में अंचलों की खुशबू
मध्यप्रदेश की भौगोलिक सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में मालवा, चंबल, नर्मदापुरम, महाकौशल, बुंदेलखंड और विंध्य की अपनी विशिष्ट पहचान है। स्नेह यात्राओं में इन क्षेत्रों की सांस्कृतिक झलक स्पष्ट दिख रही है। जहां मालवांचल में दाल बाफला आ ही जाता है तो वहीं महाकौशल के जनजातीय नृत्य यात्रा में चार चांद लगा देते हैं। चंबल का आत्मीय व्यवहार कहीं प्रेरित करता है तो कहीं बुंदेलखंड की बोली मोह लेती है। यात्रा में नेतृत्वकर्ता संत अंचलों की इस विशेषता को आत्मसात कर प्रसन्न हो रहे हैं। कुछ शब्दों और वाक्यों को सीखकर जब समूह में बोलते हैं तो भीड़ करतल ध्वनि से इस आत्मीयता को आत्मसात करती है।
बस्ती-बस्ती, गांव-गांव का मिट रहा है भेद
16 अगस्त से प्रारंभ होकर 26 अगस्त तक चलने वाली इस यात्रा का रूप पहले से ही निर्धारित कर लिया गया था। पर जैसे-जैसे यात्रा तय मार्गों पर आगे बढ़ रही है वैसे-वैसे लोगों का आग्रह भी बढ़ रहा है कि यात्रा हमारे क्षेत्र में भी आए। इसका परिणाम यह हो रहा है कि दोपहर और शाम के जनसंवादों में हजारों लोगों की भीड़ उमड़ रही है।
स्नेह यात्रा आंकड़ों के आईने में
स्नेह यात्रा में अब तक पूरे प्रदेश में 728 जनसंवाद कार्यक्रम एवं 2890 पूरक संवाद कार्यक्रम संपन्न हो चुके हैं। पाँच प्रमुख संगठनों सहित 25 से अधिक सामाजिक सांस्कृतिक संगठनों की सहभागिता यात्रा में हो रही है। 3640 किमी की कुल पैदल यात्रा में अब तक 3980 हजार बस्तियां और ग्राम शामिल हो चुके हैं। 72 प्रमुख संतजनों का मार्गदर्शन यात्रा को मिल चुका है। इसके अलावा 500 से अधिक स्थानीय साधुसंत यात्रा का हिस्सा बन चुके हैं। स्नेह यात्रा में अब तक 07 लाख लोगों से अधिक प्रयत्क्ष सहभागिता हो चुकी है।
यात्रा का संयोजन मप्र जनअभियान परिषद के माध्यम से किया जा रहा है। यात्रा में सहभागी संगठन अखिल विश्व गायत्री परिवार, रामचंद्र मिशन, योग आयोग संस्थान, पतंजलि योग पीठ एवं आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास हैं। इसके अतिरिक्त स्थानीय स्तर पर कार्यरत धार्मिक सांस्कृतिक संगठन भी यात्रा में बढ़चढ़ कर यात्रा में सहभागिता कर रहे हैं।