स्टूडेंट्स क्षेत्रीय भाषाओं में पड़ेंगे डिप्लोमा-इंजीनियरिंग की बुक्स
भोपाल
क्षेत्रीय भाषाओं में डिप्लोमा एवं इंजीनियरिंग की पुस्तकें तैयार करने का प्रथम चरण का कार्य अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने लगभग पूरा कर लिया है। अब इंजीनियरिंग के द्वितीय वर्ष के लिए 12 भाषाओं में 88 पुस्तकों पर काम शुरू हुआ है। हिन्दी का दायित्व राजीव गांधी प्रौद्यागिकी विवि (आरजीपीवी) को सौंपा गया है।
समन्वय हिन्दी अनुवाद परियोजना डॉ. शंशिरंजन अकेला ने बताया कि 88 पुस्तकों पर काम शुरू किया गया है। इसमें 42 पुस्तकें इंजीनियरिंग और 46 पुस्तकें डिप्लोमा की हैं। सूत्र बताते हैं कि 40 प्रतिशत किताबों का ही अनुवाद हो सका है। यह काम पूरा होने के दिसंबर तक का समय लग सकता है।
देश के 176 शिक्षक एवं अनुवादक जुटे काम में
देश के करीब 176 शिक्षक एवं अनुवादक किताबों को हिन्दी में कर रहे हंै। एआईसीटीई को करीब दो हजार आवेदन प्राप्त मिले, इनमें आईआईटी दिल्ली, आईआईटी रूड़की, आईआईटी कानपुर, आईआईटी मुम्बई, आईआईटी मद्रास के प्रोफसर एवं शिक्षक हैं।
2 पुस्तकें अंग्रेजी,शेष 22 क्षेत्रीय भाषा में मिलेंगी
हिन्दी के अलावा 2 पुस्तकें अंग्रेजी तथा शेष 22 पुस्तकें क्षेत्रीय भाषाओं में है। हिन्दी, ओडिया, मराठी, बंगाली, तमिल, तेलुगू, कन्नड़, पंजाबी, गुजराती में अनुवाद शुरू कर बाद में उर्दू, मलयाली, असमिया को जोड़ा गया।
27 छात्र मैनिट में हिंदी से इंजीनियरिंग कर रहे
पिछले सेशन में मैनिट में 1200 छात्रों ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए दाखिला लिया था। इनमें 150 छात्र वो थे, जिन्होंने अपनी पढ़ाई के लिए हिंदी मीडियम चुना था। इनमें से कई लोगों ने पढ़ाई और मैनिट छोड़ दी है। अभी मात्र 27 छात्र ही बचे हैं जो मैनिट में हिंदी मीडियम से इंजीनियरिंग कर रहे हैं। मैनिट के निदेशक प्रोफेसर केके शुक्ला ने बताया कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के तहत मैनिट में कई गतिविधियां चल रही हैं। हालांकि कोर्स में उसके नतीजे सामने नहीं आ रहे हैं।