समस्त संस्थानों का आपसी सामंजस्य, प्रदेश के शैक्षणिक विकास में सहायक सिद्ध होगा : परमार

कार्ययोजना : उच्च शिक्षा मंत्री परमार

समस्त संस्थानों का आपसी सामंजस्य, प्रदेश के शैक्षणिक विकास में सहायक सिद्ध होगा : परमार
हर विधा-हर क्षेत्र में विद्यमान भारतीय ज्ञान का, पुनर्शोध के साथ दस्तावेजीकरण करने की आवश्यकता: उच्च शिक्षा मंत्री परमार
आईआईएसईआर में, राष्ट्रीय एवं राज्यस्तरीय शैक्षणिक संस्थानों की सहभागिता में विचार-मंथन: उच्च शिक्षा मंत्री परमार

भोपाल
भारत का ज्ञान, विश्व मंच पर सबसे पुरातन और सर्वश्रेष्ठ ज्ञान है, यह ज्ञान परम्परा एवं मान्यता के रूप में भारतीय समाज में सर्वत्र विद्यमान है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण के आधार पर, भारतीय समाज में परंपराएं एवं मान्यताएं स्थापित हुई हैं। हर विधा-हर क्षेत्र में विद्यमान भारतीय ज्ञान को युगानुकुल परिप्रेक्ष्य में वर्तमान वैश्विक आवश्यकतानुरूप, पुनः शोध एवं अनुसंधान कर दस्तावेजीकरण की आवश्यकता है। यह बात उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री इन्दर सिंह परमार ने बुधवार को भोपाल स्थित "भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान" के तत्वावधान में, मध्यप्रदेश में स्थित केन्द्रीय एवं राज्य सरकार के शैक्षणिक संस्थानों की सहभागिता में कृषि, स्वास्थ्य सेवा, अर्धचालक एवं क्वांटम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धि (एआई) के अंगीकरण को बढावा देने के लिये एक दिवसीय विचार-मंथन कार्यक्रम में कही।

उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने कहा कि प्रदेश को शिक्षा के क्षेत्र में देश में अग्रणी बनाने के लिए व्यापक कार्ययोजना के साथ क्रियान्वयन की आवश्यकता है। इसके लिए राष्ट्रीय एवं राज्यस्तरीय संस्थानों के मध्य ज्ञान एवं संसाधनों को परस्पर साझा कर, प्रदेश के शैक्षणिक विकास में संस्थानों की उपयोगिता सुनिश्चित करनी होगी। परमार ने कहा कि सभी संस्थानों के पास अपने संसाधन और क्षमता हैं, इनका उपयोग आपसी सामंजस्य के साथ परस्पर साझा कर, प्रदेश के शैक्षणिक उत्थान में करने की आवश्यकता है। परमार ने कहा कि यह प्रकल्प, मध्यप्रदेश (विशेषकर भोपाल) को शैक्षणिक हब के रूप में स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका सुनिश्चित करेगा।

साथ ही कृषि, स्वास्थ्य सेवा, अर्धचालक और क्वांटम प्रौद्योगिकी में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) को अपनाने को बढ़ावा देने के साथ-साथ व्यावहारिक अनुसंधान को बढ़ाने और अकादमिक क्षेत्र में देश का नेतृत्व करने के लिए, उच्च शिक्षा संस्थानों को नव-दृष्टि देने में सहायक सिद्ध होगा। परमार ने आह्वान करते हुए कहा कि प्रदेश में स्थित सभी उच्च शैक्षणिक संस्थानों को एक साथ मिलकर आना होगा, जिससे उच्च शिक्षण, अनुसंधान, नवाचार आदि के क्षेत्र में नवीन आयाम स्थापित किए जा सकें। परमार ने कहा कि विचार मंथन कार्यक्रम से प्राप्त सुझावों एवं निष्कर्षों के आधार पर आगामी कार्ययोजना बनाएंगे। परमार ने प्रदेश के शैक्षणिक उत्थान की दृष्टि से महत्वपूर्ण विचार मंथन के लिए आयोजक एवं सहभागी संस्थानों को धन्यवाद भी ज्ञापित किया।

भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान भोपाल (आईआईएसईआर भोपाल) के तत्वावधान में, संस्थान के आगन्तुक निवास में, प्रदेश में स्थित केन्द्रीय एवं राज्य सरकार के शैक्षणिक संस्थानों के निमित्त एक दिवसीय विचार-मंथन कार्यक्रम के अंतर्गत तीन सत्रों में विषयवार चर्चा-परिचर्चा की गई। विचार-मंथन सत्र में प्रदेश के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के 70 से अधिक प्रतिनिधियों ने सहभागिता की।सभी ने मध्यप्रदेश विशेषकर भोपाल को शैक्षणिक, ज्ञान और नवाचार का हब बनाने तथा भोपाल में वैश्विक स्तर के कन्वेंशन सेन्टर की स्थापना करने को लेकर अपने-अपने विचार रखे। बोर्डिंग, डायनिंग तथा बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं से सुसज्जित अंतर्राष्ट्रीय स्तर का एक कन्वेंशन सेन्टर स्थापित करने पर जोर दिया गया।

सभी पैनलिस्टों ने कृषि, स्वास्थ्य सेवा एवं चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धि (आर्टिफिशियल इंटेलेजेंस) की भूमिका पर विचार-विमर्श किया तथा इसी जुड़ी विविध संभावानाओं को तलाशने का प्रयास किया। सभी पेनलिस्टों ने एआई के बढ़ते महत्व को देखते हुए उक्त क्षेत्रों में अंगीकार करने की बात कही। साथ ही कृषि पर आधारित अनुसंधान को बढ़ावा देने और विभिन्न संस्थानों की मौजूदा विशेषज्ञता का उपयोग करके कृषि-तकनीक से संबंधित सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को अपनाने पर विमर्श हुआ। दो या अधिक संस्थानों के शिक्षण प्रणाली एवं अनुसंधान हितों को ध्यान में रखते हुए एग्रो-टेक्नालॉजी में एआई का उपयोग, हेल्थकेयर, फॉर्मेसी जैसे नये पाठ्यक्रमों को शामिल कराने पर भी जोर दिया गया।

इस अवसर पर सचिव तकनीकी शिक्षा रघुराज राजेन्द्रन, आयुक्त उच्च शिक्षा निशांत बरबड़े और भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान भोपाल के निदेशक प्रो. गोवर्धन दास सहित प्रदेश में स्थित केन्द्रीय एवं राज्य सरकार के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के कुलगुरु, निदेशक एवं सम्बंधित प्रतिनिधियों सहित उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष विभाग के अधिकारीगण उपस्थित थे। कार्यक्रम संयोजक प्रो. धनवीर सिंह राणा ने आभार व्यक्त किया।

 

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