अक्टूबर में आलू, टमाटर, चिकन की कीमतों में गिरावट के कारण थाली की कीमत में आई गिरावट

नई दिल्ली

आलू, टमाटर और ब्रॉयलर चिकन की कीमतों में गिरावट के चलते अक्टूबर में घर पर बनी शाकाहारी और मांसाहारी थाली की कीमतें पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में क्रमशः 5 और 7 फीसदी घटी हैं। हालांकि, प्याज के दाम बढ़ने और दाल महंगी होने से नवंबर में दोनों तरह की थाली फिर से महंगी हो सकती है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की ओर से सोमवार को जारी थाली की कीमतों की मासिक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि शाकाहारी थाली की कीमतों में गिरावट आलू और टमाटर के दाम में सालाना आधार पर क्रमशः 21 फीसदी और 38 फीसदी की कमी के कारण है। यह खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट को भी दर्शाती है। अक्टूबर में शाकाहारी थाली की कीमत 27.50 रुपये रही जो पिछले साल अक्टूबर में 29 रुपये थी। पिछले महीने (सितंबर) थाली की कीमत 27.90 रुपये थी।

रिपोर्ट के मुताबिक, मांसाहारी थाली की कीमतों में तेज गिरावट आई है क्योंकि ब्रॉयलर चिकन) की कीमत, जो थाली की लागत में 50 फीसदी हिस्सेदारी रखती है, में पिछले वर्ष के उच्च आधार की तुलना में अनुमानित 5-7 फीसदी कमी आई है। अक्टूबर में मासांहारी थाली की कीमत घट कर 58.40 रुपये रह गई जो एक साल पहले इस महीने में 62.70 रुपये थी। सितंबर 2023 में इसकी कीमत 60.50 रुपये थी।

क्रिसिल ने कहा है कि ईंधन की लागत, जो शाकाहारी और मांसाहारी थाली की कुल लागत का क्रमशः लगभग 14 और 8 प्रतिशत है, में 14 प्रतिशत की गिरावट आई है, क्योंकि 14.2 किलो वाले एलपीजी सिलेंडर की कीमत पिछले वर्ष की तुलना में 1,053 रुपये से गिरकर 903 रुपये हो गई।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े में प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण थाली की कीमतों में गिरावट सीमित हो गई। पहले पखवाड़े के औसतन 34 रुपये प्रति किलो से बढ़कर दूसरे पखवाड़े में प्याज के दाम औसतन 40 रुपये प्रति किलो हो गए। इसी तरह, शाकाहारी थाली की कुल लागत में 9 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाली दालों की कीमत में पिछले साल की तुलना में 19 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

क्रिसिल ने कहा है कि अगर प्याज की महंगाई जारी रहीं, तो नवंबर में थाली की कीमतें बढ़ेंगी। शाकाहारी थाली की कुल लागत में प्याज की हिस्सेदारी लगभग 10 फीसदी है।  नवंबर के पहले हफ्ते में प्याज की कीमतें पिछले महीने की तुलना में 75 फीसदी ज्यादा हैं।

 

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