जब भारत को वंचित रखा गया, अब चंद्रयान 3 दिलाएगा सम्मान; लैंडिंग से क्या फायदा

नई दिल्ली
चंद्रयान 3 की लैंडिंग का उत्साह पूरे देशवासियों में है। हर तरफ जश्न है जारी है। इसकी बड़ी वजह यह भी है कि अब भारत अंतरिक्ष से जुड़ी जरूरी जानकारियों के लिए अन्य देशों पर निर्भर नहीं है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO के पूर्व अध्यक्ष का कहना है कि पहले कभी क्षमताओं के चलते चर्चाओं से भी वंचित रखा गया भारत अब अंतरिक्ष से जुड़े फैसलों में अहम भूमिका निभाएगा।

ISRO के पूर्व चीफ के कस्तूरीरंगन चंद्रयान 3 की लैंडिंग को काफी निर्णायक मान रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा, 'यह (लैंडिंग) की क्षमता का मतलब है कि हम इस तकनीक की प्रथम पंक्ति में खड़े हैं और इसलिए ग्रहों पर भविष्य में की जाने वाली खोज और अंतरिक्ष से संसाधन लाने से जुड़े सभी बड़े फैसलों का हिस्सा होंगे। हम स्वभाविक रूप से उस समूह का हिस्सा हो गए हैं, जो इन भविष्य की नीतियों को तैयार करेगा।'

उन्होंने बताया, 'यह बहुत खास है, क्योंकि अतीत में हमें ऐसे समूहों से बाहर रखा गया था, जिसकी वजह से हमने काफी भुगता है। हमें तकनीक से वंचित कर दिया। हमें इसलिए बाहर रखा गया, क्योंकि हमारे पास खुद की क्षमताएं नहीं थीं और कुछ मायनों में हम निर्भर भी थे। चांद पर लैंडिंग ने इस बात को हमेशा के लिए बदल दिया है।'

कस्तूरीरंगन बताते हैं, 'कोई इस बात से सहमत हो या नहीं, लेकिन अंतरिक्ष की क्षमताएं 21वीं सदी में देशों के बीच समीकरण में काफी अहम होंगी…। सबसे जरूरी बात यह है कि हम समान शर्तों पर इसमें शामिल हो सकेंगे और भागीदार भी बन सकेंगे… और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंतरिक्ष से जुड़े फैसलों में और निर्णायक भूमिका निभाएंगे। चंद्रयान 3 ने हमें आत्मविश्वास और क्षमता प्रदान की है।'

भविष्य के स्पेस एक्सप्लोरेशन्स को लेकर उन्होंने कहा, 'चांद पर और खासतौर से मुश्किल जगह और ध्रुवीय क्षेत्रों में लैंड करने वाले तीसरे या चौथा देश होने के नाते, भारत इस प्रक्रिया में सक्रिया भागीदार होना चाहिए।'

 

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