सरकार क्यों नहीं करवा रही जातीय जनगणना, बीजेपी OBC मोर्चा के अध्यक्ष ने गिनाईं कानूनी और तकनीकी खामियां

 नई दिल्ली

हिंदी पट्टी के राज्यों में जाति जनगणना की मांग जोर पकड़ने के बीच, केंद्र की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष के लक्ष्मण ने जातीय जनगणना नहीं करवाने के पीछे कई तकनीकी, कानूनी और प्रशासनिक अड़चनें गिनाई हैं। ओबीसी बुद्धिजीवियों की बैठक में लक्ष्मण ने कहा कि जाति जनगणना आयोजित करने में प्रशासनिक, कानूनी और तकनीकी कारण शामिल हैं।

उन्होंने कहा, "कई जातियां हैं जो केंद्रीय ओबीसी सूची में नहीं हैं लेकिन राज्य ओबीसी सूची में हैं। इसके अलावा, कई गैर-ओबीसी जातियां हैं जो ओबीसी कैटगरी में शामिल होना चाहती हैं । ये सभी केंद्र के लिए जाति-आधारित जनगणना करना मुश्किल बनाते हैं।" उन्होंने कहा कि यूपी में कुछ ब्राह्मण जातियां ओबीसी हैं; इसी तरह, बिहार में पूरा वैश्य समुदाय ओबीसी सूची में है। हालाँकि, कई अन्य राज्यों में, वे सामान्य जाति श्रेणी में आते हैं। देश के कुछ हिस्सों में जाट भी ओबीसी सूची में नहीं हैं।

 बात करते हुए लक्ष्मण ने कहा, "हम समझते हैं कि जाति-आधारित जनगणना कराने से पहले सभी योग्य जातियों को ओबीसी सूची में शामिल करने के लिए एक विस्तृत अध्ययन की आवश्यकता है।" उन्होंने यहग भी कहा कि केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने जाति जनगणना की थी, लेकिन उसका डेटा जारी नहीं किया गया।"

लक्ष्मण ने कहा कि राज्य सरकारें जाति-आधारित सर्वेक्षण करने के लिए स्वतंत्र हैं। पिछली सिद्धारमैया सरकार ने कर्नाटक में एक सर्वे कराया था लेकिन डेटा का खुलासा नहीं किया गया। पटना हाई कोर्ट ने हाल ही में बिहार सरकार द्वारा कराए जा रहे इसी तरह के एक सर्वेक्षण पर रोक लगा दी है।

दरअसल, आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर ओबीसी मतदाताओं को लुभाने और जातीय जनगणना पर उनके बीच पनप रहे रोष को लेकर भाजपा के ओबीसी मोर्चा ने यह बैठक बुलाई थी। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने के जश्न के तहत ऐसी कई बैठकें आयोजित कर रही है। यह ओबीसी के लिए उनकी 'विशेष योजनाओं और पहलों' के लिए 'धन्यवाद मोदी जी' सार्वजनिक बैठकें भी आयोजित करेगी।

दूसरी तरफ सामाजिक न्याय की बात करने वाली पार्टियां और कांग्रेस अन्य पिछड़े समुदायों के लिए नौकरियों और शिक्षा संस्थानों में आरक्षण की मात्रा वैज्ञानिक रूप से निर्धारित करने के लिए जाति जनगणना की मांग कर रही हैं। यह विपक्षी दलों का एक प्रमुख चुनावी मुद्दा भी रहा है। इसके पीछे उनका मकसद ओबीसी वोट बैंक को लुभाना है। साथ ही आरक्षण सीमा बढ़ाने पर अदालती फैसलों की काट निकालना भी रहा है।

 

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