इनकम टैक्स, सेविंग, पेंशन, गोल्ड… आज से बदल गए आपकी जेब से जुड़े 14 नियम

नई दिल्ली

आज यानी 1 अप्रैल से नए वित्त वर्ष 2023-24 की शुरुआत हो चुकी है। इसके साथ ही कई ऐसे फैसले लागू हो गए हैं, जिनसे आपकी लाइफ प्रभावित होगी। मसलन, न्यू टैक्स रिजीम के तहत 7 लाख रुपये तक की कमाई को फ्री कर दिया गया है तो वहीं नेशनल पेंशन स्कीम के नियम में भी अहम बदलाव हुए हैं। आइए इन फैसलों के बारे में जान लेते हैं।

1 -नई टैक्स व्यवस्था एक अप्रैल से प्रभाव में आ गई है। इस व्यवस्था के तहत यदि किसी टैक्सपेयर की वार्षिक आय 7 लाख रुपये है, तो उसे कोई टैक्स अदा नहीं करना होगा। हालांकि, निवेश और आवास भत्ता जैसी छूट वाली पुरानी टैक्स व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया गया है। पहली बार नई टैक्स व्यवस्था के तहत भी 50,000 रुपये की मानक कटौती के लाभ का प्रस्ताव किया गया है।

2 – वित्त मंत्री ने नई टैक्स व्यवस्था यानी बिना कोई छूट वाली टैक्स व्यवस्था को  'डिफॉल्ट' बनाने का प्रस्ताव किया है। इसका मतलब है कि अगर आपने आयकर रिटर्न में आपने अपना विकल्प नहीं चुना है तो आप स्वत: नई टैक्स व्यवस्था में चले जाएंगे। इसके अलावा तकनीकी सेवाओं के लिए रॉयल्टी और शुल्क पर टैक्स की दर को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया जाएगा।

       3 – पांच लाख रुपये वार्षिक प्रीमियम से अधिक की पॉलिसी के मामले में मिलने वाली राशि पर टैक्स छूट की सीमा खत्म होगी। इसके तहत, एक अप्रैल, 2023 के बाद जारी उन सभी जीवन बीमा पॉलिसी (यूनिट लिंक्ड बीमा पॉलिसी या यूलिप के अलावा) की मैच्योरिटी राशि पर टैक्स लगेगा, जिसका सालाना प्रीमियम 5 लाख रुपये से अधिक है।

4 – सरकार ने शुक्रवार को वित्त वर्ष 2023-24 की अप्रैल-जून तिमाही के लिए ज्यादातर लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरें बढ़ा दी हैं। हालांकि लोकप्रिय जमा योजना पीपीएफ और बैंकों में बचत जमा पर ब्याज दरें अप्रैल-जून तिमाही के लिये क्रमश: 7.1 प्रतिशत और चार प्रतिशत पर बरकरार रखी गयी हैं। अन्य बचत योजनाओं में ब्याज दरों में 0.1 प्रतिशत से 0.7 प्रतिशत की वृद्धि की गई हैं।

       5 – महिलाओं के लिए एक नई लघु बचत योजना 'महिला सम्मान बचत पत्र'  शुरू होगी। इसमें किसी महिला या लड़की के नाम पर दो लाख रुपये तक का एक बार में निवेश किया जा सकता है। इस योजना के तहत 7.5 प्रतिशत की निश्चित दर से ब्याज मिलेगा। साथ ही आंशिक निकासी का विकल्प भी मिलेगा।

  6 – वरिष्ठ नागरिक बचत योजना के तहत जमा सीमा 15 लाख रुपये से बढ़कर 30 लाख रुपये हो जाएगी। वहीं मासिक आय योजना के तहत जमा सीमा बढ़ाकर नौ लाख रुपये हो जाएगी।

7- सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 की अप्रैल-जून तिमाही के लिए ज्यादातर लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरें बढ़ा दी हैं। हालांकि लोकप्रिय जमा योजना पीपीएफ और बैंकों में बचत जमा पर ब्याज दरें अप्रैल-जून तिमाही के लिये क्रमश: 7.1 प्रतिशत और चार प्रतिशत पर बरकरार रखी गयी हैं। अन्य बचत योजनाओं में ब्याज दरों में 0.1 प्रतिशत से 0.7 प्रतिशत की वृद्धि की गयी है।

8 – एक अप्रैल से बॉन्ड या निश्चित आय वाले उत्पादों में निवेश से जुड़े म्यूचुअल फंड में शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन लगेगा। अबतक निवेशकों को इस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन मिलता था और इस कारण यह निवेश लोकप्रिय था। फिलहाल, बॉन्ड या निश्चित आय वाले उत्पादों से जुड़े म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले निवेशक तीन साल के लिए पूंजी लाभ पर आयकर चुकाते हैं।

         9 – एक अप्रैल से सख्त उत्सर्जन नियम लागू होने के बाद मारुति सुजुकी, टाटा मोटर्स जैसी वाहन कंपनियां अपने विभिन्न मॉडलों की कीमतों में बढ़ोतरी कर रही हैं।

      10 – नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने एक अप्रैल से नकद इक्विटी और वायदा एवं विकल्प खंड में लेनदेन शुल्क में छह प्रतिशत की वृद्धि को वापस लेने का फैसला किया है। अतिरिक्त शुल्क एक जनवरी, 2021 को प्रभावी हुआ था।

11 –  विदेश यात्रा के लिए क्रेडिट कार्ड से भुगतान को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (एलआरएस) के दायरे में लाया जाएगा। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि ऐसे खर्चे स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) के दायरे में आएं।

      12 – देश के सूक्ष्म और लघु उद्योगों के लिए एक संशोधित ऋण गारंटी योजना एक अप्रैल से लागू होगी। इसमें एक करोड़ रुपये तक के कर्ज के लिए वार्षिक गारंटी शुल्क अधिकतम दो प्रतिशत से घटकर 0.37 प्रतिशत किया जा रहा है। इससे छोटे कारोबारियों के लिए ऋण की कुल लागत में कमी होगी। गारंटी की सीमा को दो करोड़ रुपये से बढ़ाकर पांच करोड़ रुपये कर दिया गया है।

      13- नई विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) भी एक अप्रैल से लागू होगी। इसका उद्देश्य देश के निर्यात को 2030 तक 2,000 अरब डॉलर तक पहुंचाना, भारतीय रुपये को वैश्विक मुद्रा बनाना और ई-वाणिज्य निर्यात को बढ़ावा देना है। एफटीपी 2023 से ई-वाणिज्य निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा और इसके 2030 तक बढ़कर 200-300 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। इसके अलावा, इसमें कूरियर सेवाओं के माध्यम से निर्यात के लिए मूल्य सीमा पांच लाख रुपये प्रति खेप से बढ़ाकर 10 लाख रुपये की जा रही है।

 

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