जानें कब है वैशाख माह में शनि जयंती, क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त

 शनि जयंती हर साल दो बार मनाई जाती है. दक्षिण भारत में शनि जयंती वैशाख अमावस्या में मनाई जाती है और उत्तर भारत में ज्येष्ठ अमावस्या में मनाई जाती है. आज यानी कि दिनांक 07 अप्रैल को वैशाख माह की शुरुआत हुई है. वहीं, वैशाख की अमावस्या तिथि को शनि देव का जन्मोंत्सव मनाया जाएगा और उसी दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बना हुआ है. इस दिन पितरों को प्रसन्न करने से उनके आशीर्वाद की प्राप्ति होती है. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में शनि जयंती के बारे में बताएंगे कि शनि जयंती कब है, इस दिन कौन से दो शुभ योग बन रहे हैं.

जानें कब है शनि जयंती
वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि दिनांक 19 अप्रैल को सुबह 11:23 मिनट से अगले दिन दिनांक 20 अप्रैल को सुबह 09 बजकर 41 मिनट तक रहेगा. अब ऐसे में दिनांक 20 अप्रैल को वैशाख अमावस्या है, तो उसी दिन शनि जयंती मनाई जाएगी. हालांकि शनि जयंती दिनांक 19 मई को उत्तर भारत में ज्येष्ठ अमावस्या के दिन मनाई जाएगी.

वैशाख शनि जयंती के दिन बना है सर्वार्थ सिद्धि योग

दिनांक 20 अप्रैल को शनि जयंती के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और प्रीति योग बन रहा है. यह सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 05 बजकर 51 मिनट से शुरू हो रहा है और यह रात 11 बजकर 11 मिनट तक रहेगा. वहीं प्रीति योग दोपहर 01 बजकर 01 मिनट से देर रात तक रहेगा.

इस दिन का अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक रहेगा.

शनि जयंती के दिन इस विधि से करें पूजा
शनि जयंती के दिन न्याय के देवता शनि देव की पूजा करना चाहिए.  उन्हें काले तिल, नीले फूल, काली उड़द, धूप, दीप चढ़ाएं. उसके बाद तिल के तेल या सरसों के तेल का दीपक जलाएं. फिर शनि चालीसा का पाठ करें. शनि देव के जन्म की कथा सुनें. उसके बाद शनि देव की आरती करें. फिर शनि देव से ग्रह दोष, साढ़ेसाती और ढैय्या के कष्टों से मुक्ति देने की प्रार्थना करें ताकि जीवन के कष्ट खत्म हो सकें.

वैशाख अमावस्या पर करें पितरों को खुश
वैशाख अमावस्या के दिन सुबह स्नान करें. उसके बाद सूर्य देव की पूजा करें. फिर पितरों को जल से तर्पण करें. इससे आपके पितृ आपसे प्रसन्न होंगे और सुखी जीवन का आशीर्वाद देंगे. अगर पितरों को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो इस दिन अपनी क्षमता के अनुसार, वस्त्र, अन्न और जल दान अवश्य करें.

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