कर्नाटक में भी राजस्थान वाला संकट! CM पद पर सिद्धरमैया और डीके शिवकुमार में तकरार जारी, आज भी बैठक

कर्नाटक

कर्नाटक में चुनाव नतीजे 13 मई को ही घोषित हुए थे, लेकिन मुख्यमंत्री पद के लिए अभी भी डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच तकरार जारी है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने मंगलवार को दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की थी। उन्होंने मुख्यमंत्री पद के लिए अपना दावा करना जारी रखा। इसके बाद आलाकमान को बुधवार तक के लिए अपने निर्णय को टालना पड़ा। ऐसा कहा गया कि पहले सिद्धारमैया दो साल के लिए मुख्यमंत्री बनेंगे। इसके बाद बागडोर डीके शिवकुमार के हाथों में होगी। इसके बाद भी डीके शिवकुमार के तेवर नरम नहीं पड़े हैं। कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद के लिए किसी एक नाम की घोषणा से पहले कांग्रेस की आज एक और बैठक होगी।

मंगलवार को भी दिनभर मैराथन बैठकों और मुलाकातों का दौर चला। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की। इसके बाद पार्टी अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदार सिद्धरमैया और डीके शिवकुमार से अलग-अलग मुलाकात की। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि अध्यक्ष ने दोनों नेताओं का पक्ष सुन लिया है। खड़गे पार्टी के दूसरे वरिष्ठ नेताओं से चर्चा कर जल्द किसी निर्णय पर पहुंचेंगे। एआईसीसी पर्यवेक्षकों के कांग्रेस अध्यक्ष को अपनी रिपोर्ट सौंपने के बाद मंगलवार को पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की। इसमें संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और प्रदेश प्रभारी रणदीप सुरजेवाला मौजूद रहे। राहुल गांधी से मुलाकात के बाद पार्टी अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदार डीके शिवकुमार और सिद्धरमैया से मुलाकात की। इसमें दोनों नेताओं ने मजबूती से अपनी दावेदारी पेश की है।

शिवकुमार की दलील, लिंगायत सिद्धरमैया के खिलाफ
सोमवार को तबीयत ठीक न होने का हवाला देकर दिल्ली आने से इनकार करने वाले डीके शिवकुमार मंगलवार दोपहर दिल्ली पहुंचे और कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात की। पार्टी सूत्रों का कहना है कि शिवकुमार की दलील है कि लिंगायत सिद्धरमैया के खिलाफ हैं। इसके साथ 2013 से 2018 के दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री के तौर पर कोई छाप नहीं छोड़ी। मुलाकात के बाद डीके शिवकुमार ने साफ कर दिया कि पार्टी उनकी मां की तरह है। ऐसे में पार्टी से इस्तीफा देने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता।

पार्टी के ज्यादातर नेता सिद्धरमैया के पक्ष में
इसके बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता और मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार सिद्धरमैया पार्टी अध्यक्ष से मिलने पहुंचे। दोनों नेताओं के बीच काफी देर बात हुई। मुलाकात के बाद सिद्धरमैया ने मीडिया से कोई बात नहीं की। पार्टी सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के ज्यादातर नेता सिद्धरमैया के पक्ष में हैं, पर डीके शिवकुमार अपनी दावेदारी छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। राजस्थान और छत्तीसगढ़ से सबक लेते हुए पार्टी कोई ऐसा फॉर्मूला तलाशना चाहती है, जो दोनों पक्षों को मंजूर हो। मुख्यमंत्री की दौड़ में सिद्धरमैया को किसी दूसरे नेता के मुकाबले ज्यादा विधायकों का समर्थन हासिल है। उनके अनुभव और दलित, मुस्लिम और पिछड़ों में उन्हें मिलने वाले समर्थन को देखते हुए पार्टी के ज्यादातर नेता उनके पक्ष में हैं। पर पार्टी की मुश्किल यह है कि इस बार करीब तीन दर्जन लिंगायत विधायक जीत कर आए हैं। ऐसे में पार्टी उनकी राय को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहती। ताकि, भविष्य में किसी तरह की मुश्किल का सामना न करना पड़े।

कई और भी दावेदार
पार्टी की मुश्किल यहीं खत्म नहीं होती है, वरिष्ठ नेता जी. परमेश्वर, केएच मुनियप्पा और एसआर पाटिल भी अपनी दावेदारी जता रहे हैं। जी. परमेश्वर ने कहा कि वह पार्टी हाईकमान पर विश्वास करते हैं। वह भी अपने समर्थन में 50 से ज्यादा विधायक इकट्ठा कर शोरगुल कर सकते हैं। पर पार्टी उन्हें जो जिम्मेदारी देगी वह उसे स्वीकार करेंगे। केएच मुनियप्पा भी अपनी दावेदारी जता रहे हैं। मुनियप्पा को पार्टी मंत्रिमंडल में शामिल कर सकती है।

 

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