मणिपुर में भड़की हिंसा, अमित शाह ने की ताबड़तोड़ मीटिंग

 नई दिल्ली

देश के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में भड़की हिंसा को शांत कराने के लिए भारी संख्या में सुरक्षा बलों के तैनात किया गया है। सरकार ने आदिवासियों और बहुसंख्यक मेइती समुदाय के बीच हिंसा भड़कने के बाद स्थिति को नियंत्रित करने के लिए उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने का आदेश जारी किया है। इसके अलावा सेना और असम राइफल्स के 55 'कॉलम' को वहां तैनात किया गया है। सेना ने फिलहाल हालात को काबू में बताया है। पूरे इलाके में इंटरनेट और ब्रॉडबैंड सेवा रोक दी गई है। हिंसा के कारण अबतक 9,000 से अधिक लोग इम्फाल घाटी से विस्थापित हुए हैं।

इस बीच, भाजपा विधायक वुंगजागिन वाल्टे पर गुरुवार को इंफाल में उस समय भीड़ ने हमला बोल दिया, जब वह मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से मुलाकात कर राज्य सचिवालय से लौट रहे थे। फिरजावल जिले के थानलॉन से तीन बार के विधायक वाल्टे उस वक्त इंफाल में अपने सरकारी आवास जा रहे थे, तभी उन पर हमला हुआ।

गुस्साई भीड़ ने विधायक और उनके ड्राइवर पर हमला बोल दिया, जबकि उनके पीएसओ भागने में कामयाब रहे। विधायक की हालत गंभीर है और इंफाल के क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में इलाज चल रहा है। वाल्टे कुकी समुदाय से हैं। वह पिछली भाजपा सरकार में मणिपुर के जनजातीय मामलों और पहाड़ी मंत्री थे।

इधर, राज्य भर में आदिवासियों और बहुसंख्यक मेइती समुदाय के बीच हिंसा भड़कने के बाद मणिपुर में बिगड़ती कानून-व्यवस्था की स्थिति के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिंसा प्रभावित मणिपुर के पड़ोसी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात की है। सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्री ने राज्य के शीर्ष अधिकारियों और केंद्रीय अधिकारियों के साथ वीडियो-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बैठकें कर हालात की समीक्षा की। सूत्रों के मुताबिक, शाह ने नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो, मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा और असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा से फोन पर बात की।

      मणिपुर में आदिवासियों और बहुसंख्यक मेइती समुदाय के बीच हिंसा भड़कने के बाद स्थिति को नियंत्रित करने के लिए बृहस्पतिवार को राज्य सरकार ने ''गंभीर स्थिति'' में देखते ही गोली मारने का आदेश जारी किया। बृहस्पतिवार सुबह शाह ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के साथ टेलीफोन पर बातचीत की, जिन्होंने गृह मंत्री को राज्य में मौजूदा स्थिति और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में जानकारी दी।

      सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्री ने स्थिति की समीक्षा के लिए दो वीडियो कॉन्फ्रेंस बैठकें भी कीं, जिसमें मणिपुर के मुख्यमंत्री, राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस प्रमुख, केंद्रीय गृह सचिव और केंद्र सरकार के अन्य शीर्ष अधिकारी शामिल हुए। वहीं, स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना और असम राइफल्स के 55 'कॉलम' को तैनात किया गया है। हिंसा के कारण 9,000 से अधिक लोग विस्थापित हो गए हैं।

       नगा और कुकी आदिवासियों द्वारा 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किए जाने के बाद बुधवार को हिंसा भड़क गई, जिसने रात में और गंभीर रूप ले लिया। राज्य की आबादी में 53 प्रतिशत हिस्सा वाले गैर-आदिवासी मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मांग के खिलाफ चुराचांदपुर जिले के तोरबंग इलाके में 'ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर' (एटीएसयूएम) द्वारा बुलाए गए 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के दौरान बुधवार को हिंसा भड़क गई थी।

 

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