कोर्ट में जब 5 घंटे खड़ी रहीं इंदिरा गांधी, 13 दिन बाद लगा आपातकाल

नई दिल्ली

आज की तारीख यानी 12 जून भारत की राजनीति के लिए बेहद अहम है। आज के ही दिन पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को अदालत में चुनावों में धांधली के लिए दोषी करार दिया गया था। इसके बाद ही तैयार हो गई थी आपातकाल की भूमिका। 13 दिन बाद ही देश में आपातकाल लागू हो गया। हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए चुनाव रद्द कर दिया था। दरअसल साल 1971 में इंदिरा गांधी ने रायबरेली लोकसभा सीट पर अपने प्रतिद्वंद्वी राजनारायण के खिलाफ जीत हासिल की।

राजनारायण ने इस जीत को हाई कोर्ट में चुनौती दी। राजनारायण संयुक्त
सशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार थे। राजनारायण चुनाव प्रचार के दौरान भी लगातार अपनी जीत के दावे कर रहे थे। परिणाम के दौरान उन्होंने जीत की खुशी में रैली तक निकाल दी। लेकिन परिणाम सामने आने पर पता चला कि वह इंदिरा गांधी से बड़े अंतर से हार गए थे। उनका कहना था कि चुनाव में धांधली की गई है और इंदिरा गांधी को जिताने के लिए सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल किया गया है।

अदालत पहुंच गए राजनारायण
चुनाव परिणाम के बाद राजनारायण ने हाई कोर्ट में अर्जी दी और उन्होंने अदालत को कुछ सबूत सौंपे। कई आरोपों को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया लेकिन कई ऐसे भी आरोप थे जो सही पाए गए। सरकारी मशीनरी के  इस्तेमाल की बात कोर्ट में अटक गई। अदालत ने माना की चुनाव के दौरान रायबरेली में प्रधानमंत्री हाउस के वाहन थे।

अदालत में घंटों खड़ी रहीं इंदिरा गांधी
इंदिरा गांधी कोर्ट में पेश हुईं। अदालत में उनसे पांच घंटे तक पूछताछ हुई। उन्होंने खड़े होकर सवालों को जवाब दिए। बता दें कि कोर्ट में यही परंपरा रही है कि लोग केवल जज के आने पर ही खड़े होते हैं। उस दौरान भी ऐसा ही किया गया। जिस तरह से उनसे सवाल जवाब हो रहे थे उससे अंदाजा लग गया था कि उन्हें दोषी करार दिया जा सकता है। राजनारायण के सात  आरोपों में से दो में इंदिरा गांधी को दोषी करार दियागया। 12 जून 1975 को जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी को दोषी करार दिया और जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत 6 साल तक लोकसभा और विधानसभा में चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य ठहरा दिया गया।

इसके बाद इंदिरा गांधी सुप्रीम कोर्ट गईं। सुप्रीम कोर्ट के जज वीआर कृष्ण अय्यर ने कहा कि इस केस को लेकर उनपर दबाव बनाने की कोशिश हो रही है। 24 जुन को जस्टिस अय्यर ने अपने फैसले में इंदिरा गांधी को आंशिक राहत दी। उन्होंने फैसला सुनाया कि इंदिरा गांधी संसद की कार्यवाही में भाग ले सकती हैं लेकिन वोटिंग में नहीं शामिल हो सकती। इसके बाद 25 जून को ही देश में आपातकाल लागू कर दिया गया। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 का इस्तेमाल करके आपातकाल लगाया गया जो कि 21 महीने तक लागू रहा। 21 मार्च 1977 को आपातकाल खत्म हुआ।

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